- संभल के बाद अब दिल्ली की जामा मस्जिद का भी सर्वे कराने की मांग की गई है.
- एएसआई को लिके पत्र में हिंदू सेना के एक कार्यकर्ता ने यह दावा किया है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मंदिर है और इसीलिए इसका सर्वे कराया जाना चाहिए,
- ताकि सच्चाई का पचा चल सके. इससे पहले, संभल में भी ऐसा ही एक मामला चल रहा है, जहां कुछ दिनों पहले शाही जामा मस्जिद पर सर्वे को लेकर हिंसा हो गई
नई दिल्ली: दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद एक बार फिर चर्चा में है. हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखकर जामा मस्जिद के सर्वे की मांग की है. उनका दावा है कि मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मंदिर के अवशेष मौजूद हैं, जो मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा तोड़े गए कृष्ण मंदिरों से संबंधित हैं. विष्णु गुप्ता का दावा है कि जोधपुर और उदयपुर के प्राचीन कृष्ण मंदिरों को औरंगजेब ने नष्ट किया था और उनके अवशेष जामा मस्जिद की सीढ़ियों में इस्तेमाल किए गए हैं
अजमेर शरीफ दरगाह में हिंदू मंदिर होने का दावा
इससे पहले राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह में हिंदू मंदिर होने का दावा किया गया है. हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता का कहना है कि अजमेर दरगाह को भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाए. साथ ही दरगाह समिति के अनाधिकृत अवैध कब्जे को हटाया जाए और इसका एएसआई सर्वे कराया जाए
जामा मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व
दिल्ली की जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है, जिसका निर्माण 1656 में औरंगजेब के पिता शाहजहां ने करवाया था. यह मस्जिद न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है. मस्जिद की भव्यता और वास्तुकला भारतीय मुस्लिम इतिहास की एक अमूल्य धरोहर मानी जाती है.
विष्णु गुप्ता ने एएसआई डायरेक्टर को लिखे पत्र में कहा, “किताब के मुताबिक मई 24-25, 1689 के दिन ख़ान जहां बहादुर जोधपुर से मंदिरों को तबाह कर के लौटा. औरंगजेब की जीवनी में लिखा हुआ है कि खान जहां बहादुर द्वारा मंदिरों को ध्वस्त किए जाने, उन्हें लूटने और प्रतिमाओं को विखंडित किए जाने पर बादशाह बहुत खुश हुआ. उसके बाद बैल गाड़ियों से टूटी हुए मूर्तियों के अवशेष दिल्ली रवाना कर दिए गए. इसलिए इसका सर्वे होना चाहिए.