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क्या अब विधानसभा भी सुरक्षित नही ? बिहार विधानसभा में ऐसा क्या हुआ देखे खबर…..

23 मार्च को बिहार विधानसभा में क्या हुआ?

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस तरह ब्यौरा देते हैं, “आज बिहार विधानसभा की कार्यवाही के दौरान एक काला क़ानून पेश किया गया, जिसके विरोध में हम सब लोग खडे़ थे। लेकिन बिहार ही नहीं, देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि सदन के अंदर पुलिस बुलाई गई, एसपी और डीएम ख़ुद विधायकों को पीटने और घसीटकर बाहर करने का काम कर रहे थे। महिला विधायक अनीता देवी, जो अतिपिछ़ड़ा समाज से भी आती हैं उनके बाल खींचकर, साड़ी खोलकर, घसीटकर ले जाया गया। आज का दिन ‘काला दिन’ के रूप में देश की जनता याद रखेगी।”

सोशल मीडिया पर भी कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें सदन के अंदर पुलिस और प्रशासन के लोग विधायकों को लात और मुक्कों से पीटते हुए देखे जा सकते हैं।

विधानमण्डल के अंदर हुई इस हिंसक झड़प में दो महिला विधायकों समेत कुल 12 विधायकों को चोटें आई हैं, कई पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी भी घायल हुए हैं। सबको इलाज के लिए पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है।

नए पुलिस विधेयक का विरोध
बिहार का विपक्ष पिछले कुछ दिनों से सदन के अंदर सत्ता पक्ष पर हमलावर है।
लेकिन, ताज़ा गतिरोध की जड़ बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधियेक 2021 है, जिसे सरकार ने भारी हंगामे और बवाल के बीच भी मंगलवार को सदन से पास करा लिया.

विपक्ष का आरोप है कि बिल के पास हो जाने से पुलिस को ऐसी शक्ति मिल गई है कि वह बिना अदालती वारंट के सिर्फ़ शंका के आधार पर किसी को भी गिरफ़्तार करके जेल में डाल सकती है। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि यह बिल विशेष सशस्त्र
पुलिस बल से जुड़ा है, ना कि सामान्य पुलिसिंग से।

बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बीबीसी से कहा, “यह बिल ले आकर सरकार पुलिस का अपना गुंडा बनाने की कोशिश कर रही है। हिटलर की तरह नीतीश कुमार भी चाहते हैं कि उनके इशारे पर पुलिस बिना वारंट के किसी को भी उसके घर में घुसकर गिरफ़्तार कर ले और जब हम इस काले क़ानून का सदन के अंदर विरोध कर रहे हैं, तब पुलिस बुलाकर हमारे विधायकों को पीटा जा रहा है। हम जिस क़ानून का विरोध कर रहे हैं, उसी का हमारे ख़िलाफ़़ इस्तेमाल किया जा रहा है।”

सदन से पहले सड़क पर हो चुका था बवाल
बिहार विधानसभा के अंदर विधायकों के साथ हुई मारपीट से पहले दोपहर में पटना की सड़कों पर भी राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ताओं और नेताओं की पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई।

नए पुलिस विधेयक के अलावा बढ़ती महंगाई, बेरोज़गारी, अपराध और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार के ख़िलाफ़ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जेपी गोलंबर से मार्च करते हुए विधानसभा को घेरने का कार्यक्रम पहले से प्रस्तावित था।

पटना ज़िला प्रशासन ने मार्च और घेराव करने की अनुमति नहीं दी थी, बावजूद इसके हज़ारों समर्थकों के साथ तेजस्वी ने जेपी गोलबंर से ही मार्च शुरू कर दिया।

डाकबंगला चौराहे पर पुलिस ने उन्हें रोकना चाहा, तो कुछ कार्यकर्ता नारेबाज़ी करते हुए बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे। इसी दौरान उनके बीच झड़प शुरू हो गई।

पुलिस ने पहले वॉटर कैनन का इस्तेमाल कर भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की. लेकिन फिर भी प्रदर्शनकारी नहीं माने।

दोनों तरफ़ से पथराव हुआ। उसके बाद पुलिस ने लाठियाँ चलाईं। दौड़ा-दौड़ा कर प्रदर्शनकारियों को पीटा जाने लगा। थोड़ी ही देर में डाकबंगला चौराहा रणक्षेत्र में तब्दील हो चुका था। सड़क पर भागते प्रदर्शनकारियों के छूट गए जूते-चप्पल, फटे कपड़े और झंडे बिखर गए।

सदन के अंदर क्या हुआ?
बिहार के विपक्ष ने नए पुलिस विधेयक के विरोध के लिए एक खास रणनीति अपनायी।

एक ओर सड़क पर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में कार्यकर्ता और समर्थक प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ़ सदन के अंदर विपक्षी विधायक हंगामा कर रहे थे।

हंगामे और शोर-शराबे के बीच सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित होती रही। वेल में घुसकर प्रदर्शन कर रहे विधायक स्पीकर की कुर्सी के पास पहुँच गए। स्पीकर के हाथ से बिल की कॉपी छीनकर फाड़ दिया।

हिंसा में एक दर्जन से अधिक प्रदर्शनकारी नेता और कार्यकर्ता घायल हुए। कई पुलिसकर्मियों और मीडियाकर्मियों को भी चोटें आईं।

मार्च का नेतृत्व कर रहे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव भी पत्थरबाज़ी के दौरान बीच में ही फँस गए थे।

बिना अनुमति मार्च करने और हिंसा फैलाने के आरोप में पुलिस ने तेजस्वी और तेजप्रताप को थोड़ी देर तक हिरासत में भी रखा फिर छोड़ दिया।

विपक्ष के ऐसे हंगामे के बावजूद भी सत्ता पक्ष बिल पास कराने पर अड़ा हुआ था। प्रस्ताव पास करने के लिए सदन की बैठक कई बार शुरू करने की कोशिश हुई। लेकिन विपक्षी विधायकों ने स्पीकर को बैठक में भाग लेने से रोकने के लिए उनके चेंबर के सामने ही धरना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर बाद सदन के अंदर पुलिस बुला ली गई। पटना के एसएसपी और डीएम दोनो दल-बल के साथ पहुँच गए।

पुलिस और प्रशासन के सदन में आते ही विपक्षी विधायकों का प्रदर्शन उग्र हो गया। विधायकों के साथ हाथापाई शुरू हुई और विधानसभा के मार्शल उन्हें घसीट-घसीट कर बाहर ले जाने लगे।

पुरुष विधायकों के साथ पुलिस का ऐसा बर्ताव देखकर विपक्षी महिला विधायक भी स्पीकर की कुर्सी के पास पहुँचकर प्रदर्शन करने लगीं। फिर महिला पुलिस बलों ने उन्हें ज़बरन घसीटकर बाहर किया।

पुरुष विधायकों में राजद के सुधाकर सिंह, सीपीआईएम के सत्येंद्र कुमार, राजद के सतीश दास के साथ-साथ महिला विधायक प्रतिमा कुमारी और अनीता देवी को गंभीर चोटें लगी हैं।

विधायकों की पिटाई की घटना होने के बाद सदन एक बार फिर से शुरू हुआ। लेकिन, विपक्ष इस बार सदन से वॉकआउट कर गया. हालाँकि, बिना विपक्ष के मौजूदगी के ही नए पुलिस विधेयक को सदन से पास करा लिया गया।

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