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ईरान-इज़राइल टकराव पर लगा विराम, ट्रंप की शांति पहल से तेल कीमतों में भारी गिरावट….

मध्य पूर्व में लंबे समय से चल रहे तनाव के बीच अब एक सकारात्मक संकेत सामने आया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर घोषणा करते हुए कहा है कि ईरान और इज़राइल के बीच संघर्ष विराम को लेकर सहमति बन चुकी है। ट्रंप के मुताबिक, अब समय है शांति का, और दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य कार्रवाई रोकने का निर्णय लिया है। उनकी इस घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर वैश्विक तेल बाजार में भी तेज़ बदलाव देखा गया। कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है। जहां विशेषज्ञों को यह डर था कि तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं, वहीं अब ये घटकर सीधे 65 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई हैं। यह गिरावट वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है।

“कच्चे तेल की कीमतों ने चढ़ाव के बाद दिखाई जबरदस्त गिरावट”

पिछले कुछ दिनों से तेल के दाम लगातार चढ़ रहे थे। लोग चिंता में थे कि कहीं हालात और न बिगड़ें। ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव ने बाजार में बेचैनी फैला दी थी। सभी को डर था कि अगर ये टकराव यूं ही चलता रहा, तो तेल की सप्लाई पर असर पड़ेगा और दाम आसमान छू सकते हैं — कुछ विशेषज्ञ तो 110 से 120 डॉलर प्रति बैरल तक की आशंका जता रहे थे। लेकिन तभी एक बड़ी खबर आई जिसने बाज़ार की हवा ही बदल दी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एलान कर दिया कि ईरान और इज़राइल अब युद्ध विराम पर सहमत हो गए हैं। इस एलान के कुछ ही घंटों के भीतर एशियाई बाज़ार खुलते ही भारी गिरावट देखने को मिली। अमेरिका का वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड अगस्त डिलीवरी वाला फ्यूचर्स करीब 5.1% टूटकर 65.02 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। ये गिरावट 12 जून के बाद की सबसे बड़ी मानी जा रही है — वही दिन जब इज़राइल ने ईरान पर मिसाइल दागे थे।

“दोनों देशों ने संघर्षविराम पर दी हरी झंडी”

ट्रंप की ओर से शांति की बात सामने आते ही ईरान की ओर से भी उम्मीद की किरण जगी। तेहरान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कर दिया कि अब उनका देश इज़राइल के साथ सीजफायर को लेकर राज़ी है। उधर, इज़राइली मीडिया चैनल 12 की रिपोर्ट ने इस बात को और पुख्ता किया कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ट्रंप से बातचीत के बाद युद्धविराम को मंज़ूरी दे दी है। इस फैसले का असर सिर्फ इन दोनों देशों पर नहीं पड़ा — इसका असर पूरी दुनिया ने महसूस किया। तेल की कीमतों में जो गिरावट आई, उसने उन देशों को भी कुछ राहत दी जो पहले ही बढ़ती महंगाई से परेशान थे। एक पल में जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था ने चैन की सांस ली।

तेल सप्लाई पर मंडराता खतरा, OPEC+ ने दी राहत की गारंटी

तनाव भरे माहौल में दुनिया की नज़रें एक जगह टिकी थीं — स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज पर। डर था कि कहीं ईरान इस अहम समुद्री रास्ते को बंद न कर दे। अगर ऐसा होता, तो पूरी दुनिया में तेल की सप्लाई पर असर पड़ सकता था। लेकिन राहत की बात ये रही कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। ईरान ने हालात बिगाड़ने की बजाय संयम दिखाया। वहीं दूसरी तरफ, OPEC+ देशों ने भी आगे आकर भरोसा दिलाया कि अगर किसी वजह से ईरान से तेल की सप्लाई रुकती है, तो बाकी देश उसकी कमी पूरी करेंगे। इस भरोसे की वजह से बाज़ार में वो घबराहट नहीं फैली जिसकी आशंका थी। हालांकि, वीकेंड में जब अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया, तो कुछ देर के लिए ब्रेंट क्रूड का भाव 81 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। लेकिन ये तेजी ज्यादा देर टिक नहीं पाई और फिर से बाज़ार थोड़ी देर में शांत हो गया।

“हमले की पुष्टि, लेकिन कतर के यूएस बेस पर कोई क्षति नहीं”

ट्रंप की ओर से शांति की घोषणा होने से ठीक पहले ईरान ने कतर में मौजूद एक अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर जवाबी हमला किया। ये कदम काफी अप्रत्याशित था, लेकिन राहत की बात ये रही कि इस हमले में कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ। जब यह खबर सामने आई, तब तक बाज़ार पहले ही अपनी प्रतिक्रिया दिखा चुका था — ब्रेंट क्रूड की कीमतें करीब 8% तक नीचे जा चुकी थीं। माना जा रहा है कि लगातार आती शांति से जुड़ी खबरों और तनाव के बीच उठते-गिरते कदमों ने बाज़ार को पहले ही झटका दे दिया था।

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