कोरोना महामारी से दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ी गयी हैं, जिसका असर भारत में भी देखने को मिल रहा है। देश में उत्पादन गतिविधियों में अप्रैल 2020 में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है। अप्रैल में उत्पादन गतिविधियां अब तक के उपलब्ध रिकॉर्ड के मुताबिक सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है।
कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में लॉकडाउन जारी है। आज से इसका तीसरा चरण शुरू हो गया है। इसकी वजह से मांग में भारी कमी आई है और साथ ही आपूर्ति भी बाधित हुई है। इन कारणों की वजह से उत्पादन एवं विनिर्माण गतिविधियों में गिरावट दर्ज की गई।
अब तक का सबसे निचला स्तर
आईएचएस मार्किट ने सोमवार को निक्केई विनिर्माण पीएमआई इंडेक्स जारी किया, जिसके अनुसार भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई घटकर 27.4 पर आ गया, जो मार्च महीने में 51.8 के स्तर पर था। इस सर्वे की शुरुआत मार्च 2005 में हुई थी। उल्लेखनीय है कि उस समय से लेकर अब तक का यह से सबसे निचला स्तर है। रिपोर्ट में इनपुट और आउटपुट कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है। इससे मुद्रास्फीति में भारी गिरावट के संकेत मिल रहे हैं।
इस सम्भन्द में आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्री इलियट केर्र ने कहा कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हालत मार्च में स्थिति अपेक्षाकृत रूप से बेहतर थी। हालांकि, अप्रैल में इस पर कोरोना वायरस का काफी असर देखने को मिला है। मार्च में उत्पादन, नए ऑर्डर और रोजगार में गिरावट दर्ज की गई। इससे मांग में भारी कमी का संकेत मिल रहा है।