केंद्र ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह केरल की महिला निमिषा प्रिया के लिए एक वकील को नियुक्त करेगा। निमिषा प्रिया को यमन के सना में 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। सरकार ने कहा है कि वह वकील नियुक्त कर अगली अपीलीय अदालत के समक्ष सजा को चुनौती देने का प्रयास करेगी।
यमन में मौत की सजा का सामना कर रही केरल की महिला पर विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने गुरुवार को ये जवाब दिया। उन्होंने कहा कि निमिषा प्रिया को मौत की सजा के संबंध में, सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है कि उसे सुरक्षित वापस लाया जाए। यही नहीं उन्होंने कहा कि अपीलीय अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।
कौन हैं निमिषा प्रिया और क्यों हुई मौत की सजा?
निमिषा प्रिया भारत के केरल की रहने वाली हैं। निमिषा को यमन के नागरिक तलाल अब्दु महादी की हत्या का दोषी पाया गया था। आरोप है कि उसने 25 जुलाई, 2017 को उसके शरीर के टुकड़े कर उसके हिस्सों को पानी की टंकी में फेंक दिया था। निमिषा एक प्रशिक्षित नर्स हैं और उन्होंने कुछ वर्षों तक यमन के निजी अस्पतालों में काम किया था। 2014 में, उसने यमन की राजधानी सना में अपना क्लिनिक स्थापित करने के लिए महादी के साथ हाथ मिलाया। उसने महादी का सपोर्ट मांगा, क्योंकि यमन कानून के तहत, केवल उसके नागरिकों को ही क्लीनिक और व्यावसायिक फर्म स्थापित करने की अनुमति है। बाद में दोनों के बीच संबंध बिगड़ गए और महादी ने उसे प्रताड़ित करने लगा। उसके चंगुल से बचने के लिए निमिषा ने उसकी हत्या कर दी।
क्लिनिक शुरू करने के बाद, महादी ने उसका सारा पैसा खुद लेना शुरू कर दिया था। जब निमिषा ने उससे पैसों के बारे में सवाल किया तो दोनों का झगड़ा हो गया। बाद में उसने उसे धमकी दी, उसके धर्म के अनुसार उससे शादी करने के लिए जाली दस्तावेज बनाए और उसे बेरहमी से प्रताड़ित किया। जल्द ही, निमिषा का जीवन नर्क में बदल गया।