बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने लॉकडाउन के बाद खुले उद्योगों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए मजदूरों से 12-12 घंटा काम कराने के प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने शनिवार को एक के बाद एक लगातार चार ट्वीट किए और सरकार पर हमला बोला। मायवती ने कहा कि मजदूरों का पहले ही बुरा हाल है, अब आठ की जगह 12 घंटे काम लेना गलत है।
मायावती ने लिखा कि कोरोना प्रकोप में मजदूरों और श्रमिकों का सबसे ज्यादा बुरा हाल है, फिर भी उनसे 8 के बजाए 12 घंटे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था दोबारा देश में लागू करना अति-दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण। श्रम कानून में बदलाव देश की रीढ़ श्रमिकों के व्यापक हित में होना चाहिए ना कि कभी भी उनके अहित में।
मायावती ने आगे लिखा- परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने श्रमिकों के लिए प्रतिदिन 12 नहीं बल्कि 8 घंटे श्रम व उससे ज्यादा काम लेने पर ओवरटाइम देने का युगपरिवर्तनकारी काम तब किया था जब देश में श्रमिकों/मजदूरों का शोषण चरम पर था। इसे बदलकर देश को उसी शोषणकारी युग में ढकेलना क्या उचित है?
देश में वर्तमान हालात के मद्देनजर श्रम कानून में ऐसा संशोधन करना चाहिए ताकि खासकर जिन फैक्ट्री/प्राइवेट संस्थानों में श्रमिक कार्य करते हैं वहीं उनके रुकने आदि की व्यवस्था हो। किसी भी स्थिति में वे भूखे ना मरे और ना ही उन्हें पलायन की मजबूरी हो ऐसी कानूनी व्यवस्था होनी चाहिए।
वैसे तो अभी काम का पता नहीं है परंतु सरकारें बेरोजगारी व भूख से तड़प रहे करोड़ों श्रमिकों/मजदूरों के विरुद्ध शोषणकारी हुक्म लगातार जारी करने पर तत्पर हैं। यह अति-दुखद व सर्वथा अनुचित है जबकि इस कोरोना के संकट में इन्हें ही सबसे ज्यादा सरकारी मदद व सहानुभूति की जरूरत है।