काम की खबर अगर आप खोलना चाहते हैं मेडिकल कॉलेज- तो पढ़िए यह खबर- सरकार ने किया बहुत आसान काम..

  • देश में नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की राह आसान करते हुए नवगठित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने पहला बड़ा फैसला लिया है।
  • आयोग ने नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और उनसे संबद्ध शिक्षण अस्पतालों के लिए न्यूनतम पांच एकड़ जमीन की बाध्यता खत्म कर दी है।
  • इसके साथ ही कौशल विकास प्रयोगशालाओं (स्किल लैब) को अनिवार्य कर दिया गया है।

केंद्र सरकार ने चिकित्सा सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए 25 एकड़ भूमि की मौजूदा अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने शनिवार को मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए। नये नियम 2021-22 सत्र से लागू होंगे।

मेडिकल कॉलेजों के लिए 25 एकड़ भूमि का नियम बहुत पुराना है। लेकिन कुछ साल पूर्व इसमें छूट दी गई थी कि शहरों एवं पर्वतीय क्षेत्रों में इतनी जमीन यदि एक साथ नहीं हो तो वह दो हिस्सों में हो सकती है। दो हिस्सों के बीच की दूरी 10 किमी से अधिक नहीं हो। दूसरे, जमीन का एक हिस्सा 10 एकड़ से छोटा नहीं हो, लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं हुआ था। इसलिए अब 25 एकड़ की आवश्यकता के प्रावधान को ही खत्म कर दिया गया है। लेकिन मेडिकल कॉलेज में सभी सेवाओं के संचालन के लिए जरूरी जगह की उपलब्धता होनी चाहिए। यह माना जा रहा है कि इस फैसले से बहुमंजिला भवनों में मेडिकल कॉलेज खुलने का रास्ता साफ होगा,

दरअसल, शहरों में 25 एकड़ जमीन नहीं मिलती है। लेकिन जब शहर से दूर 25 एकड़ जमीन में मेडिकल कॉलेज खोला जाता है तो वहां मरीज नहीं जाते। इसलिए यह फैसला नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा।

दो साल पुराना अस्पताल जरूरी
नए नियमों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए दो साल पुराना पूर्ण रूप से संचालित अस्पताल होना जरूरी कर दिया गया है। यह अस्पताल तीन सौ बिस्तरों का होना चाहिए जो बहु विशेज्ञता वाला होना चाहिए। ऐसा अस्पताल होने पर ही मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए आवेदन किया जा सकेगा। जबकि मौजूदा समय में मेडिकल कॉलेज की अनुमति और नए अस्पताल की स्थापना साथ-साथ की जाती है जिसमें यह समस्या आती है कि छात्र तीसरे-चौथे साल में पहुंच जाते हैं और तीन सौ बिस्तरों का अस्पताल ठीक से क्रियाशील नहीं हो पाता है। नए नियम में पहले से चल रहे अस्पताल के कारण ऐसी समस्या नहीं आएगी।

नए निर्देश में क्या:

दो नए विभाग खोलने होंगे : नए मेडिकल कॉलेजों को दो नये विभाग और खोलने होंगे। इनमें एक इमरजेंसी मेडिसिन है जो मौजूदा कैजुल्टी विभाग की जगह लेगा। जबकि दूसरा फिजिकल मेडिसिन एंड रिहेबिलिटेशन है।

ई-लर्निग पर जोर : नये कॉलेजों को इस प्रकार से तैयार करना होगा कि सभी विभाग डिजिटल तरीके से आपस में जुड़े हों और ई लर्निंग में सक्षम हों।

कौशल प्रयोगशाला : नए नियमों के तहत अब छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए पूर्ण रूप से एक कौशल प्रयोगशाला की स्थापना अनिवार्य की गई है।

छात्र परामर्श सेवाएं : इसी प्रकार चिकित्सा छात्रों और हॉस्टल में रहने वाले छात्रों में बढ़ते तनाव को देखते हुए छात्र परामर्श सेवाओं को भी अनिवार्य किया गया है।

पुस्तकालय और जर्नल : पुस्तकालय के स्थान एवं जर्नलों की संख्या को तर्कसंगत बनाते हुए इनकी संख्या में कमी की गई है।

शिक्षक : शिक्षकों की संख्या को तर्कसंगत बनाते हुए उनमें दस फीसदी की कटौती की गई है तथा गेस्ट फैकल्टी को बढ़ाने की अनुमति दी गई है।

टीचिंग बेड : शिक्षण अस्पताल के विभिन्न विभागों में आवश्यक बिस्तरों की संख्या को छात्रों की वार्षिक प्रवेश संख्या के आधार पर तर्कसंगत किया गया है जिससे इसमें दस फीसदी तक की कमी आएगी।

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