ज्ञानवापी केस :विश्वनाथ मंदिर के दो महंतों का बड़ा दावा,कहा वुजूखाने में मिला पत्थर शिवलिंग नहीं है जाने क्यों….

पूर्व महंत परिवार के सदस्य पं. राजेंद्र तिवारी और काशी करवत मंदिर के महंत गणेश शंकर ने दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वुजूखाना में मिली शिवलिंग जैसी आकृति वास्तव में फव्वारा है।

काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत परिवार के सदस्य पं. राजेंद्र तिवारी और काशी करवत मंदिर के महंत गणेश शंकर ने दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वुजूखाना में मिली शिवलिंग जैसी आकृति वास्तव में फव्वारा है। इस संरचना को वे बचपन से देखते आए हैं। याचिकाकर्ताओं के वकीलों का शिवलिंग होने का दावा आधारहीन है।

राजेंद्र तिवारी ने कहा कि मैं उस वुजूखाने को बचपन से देख रहा हूं। पत्थर की किसी भी संरचना को ‘शिवलिंग’ कहना ठीक नहीं है। उन्होंने दावा किया कि मेरे पास दारा शिकोह के समय का एक दस्तावेज है जो मेरे पूर्वजों को दिया गया था। उसमें वास्तविक शिवलिंग को स्थानांतरित करने की अनुमति का जिक्र है। राजेंद्र तिवारी ने सवाल उठाया कि जब कॉरिडोर का विस्तार हो रहा था तो करुणेश्वर महादेव, अमृतेश्वर महादेव, अभिमुक्तेश्वर महादेव और चंडी-चंदेश्वर महादेव के शिवलिंग को तोड़ दिया गया।

दुर्मुख विनायक, सुमुख विनायक, मुख विनायक, जौ विनायक और सिद्दी विनायक के विग्रह भी मूल स्थान से हटा दिए गए। उनके बारे में कोई नहीं बोल रहा है। काशी करवत मंदिर के महंत गणेश शंकर का भी दावा है कि वह शिवलिंग नहीं फव्वारा है। हालांकि मैंने आज तक कभी भी फव्वारा से पानी निकलते नहीं देखा।

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