कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बेटी के एनजीओ पर सरकार का बड़ा एक्शन! FCRA लाइसेंस…..

गृह मंत्रालय ने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बेटी यामिनी अय्यर के नेतृत्व में चलने वाले एक नामी-गिरामी थिंक टैंक का एफसीआरए सस्पेंड कर दिया है. इस थिंक टैंक का नाम सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च है. अधिकारियों के अनुसार ये संस्था नियमों का उल्लंघन कर रही थी.

गृह मंत्रालय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक FCRA के नियमों के उल्लंघन के चलते सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च का FCRA लाइसेंस सस्पेंड किया गया है. सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च पहले भी सरकार के रडार पर था. इससे पहले इस थिंक टैंक पर इनकम टैक्स के सर्वे हो चुके थे.

एफसीआरए का लाइसेंस 2016 में सीपीआर के द्वारा आखिरी बार रिन्यू किया गया था. इसके बाद कोरोना काल के दौरान केंद्र सरकार के द्वारा एफसीआरए लाइसेंस के लिए थिंक टैंक के रूप में काम कर रहे इस एनजीओ को एक्सटेंशन दिया गया था. FCRA के लाइसेंस का रिन्युअल 2021 में होना था.

रिपोर्ट के अनुसार CPR को फोर्ड फाउंडेशन समेत कई देशों से फॉरेन फंडिंग मिल चुकी है. इस एनजीओ पर यह भी आरोप लगे हैं कि इन्होंने तीस्ता सीतलवाड़ के NGO को डोनेशन दिया था. हालांकि गृह मंत्रालय तीस्ता के NGO सबरंग का लाइसेंस 2016 में ही रद्द कर चुकी है.

FCRA लाइसेंस सस्पेंड होने से क्या होगा?

सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च का लाइसेंस सस्पेंड होने का परिणाम यह होगा कि इस थिंक टैंक को अब विदेशों से कोई फंडिंग नहीं मिल सकेगी. CPR को फंड देने में कई विदेशी संस्थाओं का नाम सामने आया है. इनमें बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवानिया, वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट और ड्यूक यूनिवर्सिटी जैसी संस्थाएं शामिल है.

सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च एक गैर लाभकारी संगठन है जो कि डिपार्टमेंट ऑफ साइंस और तकनीक के तहत मान्यता प्राप्त है. इस संस्था को इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंस रिसर्च से भी फंड मिलता है.

अधिकारियों ने बताया कि इस थिंक टैंक को FCRA के तहत मिले चंदे के बारे में गृह मंत्रालय ने स्पष्टीकरण मांगा था. सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की वेबसाइट के अनुसार ये 1973 से ही भारत का टॉप पॉलिसी थिंक टैंक है.

क्या करता है CPR

सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च भारत की 21वीं सदी की चुनौतियों पर ध्यान देने के साथ ही नीतिगत मुद्दों पर गहन शोध करता है. संस्था की वेबसाइट के अनुसार इस संस्था के मंच पर भारत के थिंकर और पॉलिसी मेकर्स एक साथ आते हैं और नीतिगत मसलों पर फैसले लेते हैं. संस्था का दावा है कि इस कवायद का उद्देश्य इंडिया के इको सिस्टम को विकसित करना है.

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