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सुशासन बाबू ध्यान दीजिए! आधे से ज्यादा मंत्री है गंभीर अपराध में दाग़ी..

बिहार की नई नवेली नीतीश कुमार सरकार में शिक्षा मंत्री बने डॉ मेवालाल चौधरी भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण निशाने पर हैं। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के कुलपति रहते समय मेवालाल चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उनपर एफआईआर भी दर्ज हुई थी। इसके बाद जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से उन्हें निलंबित कर दिया गया था। हालांकि नीतीश कुमार की कैबिनेट में सिर्फ मेवालाल चौधरी ही दागी नहीं हैं।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और इलेक्शन वॉच के अध्ययन के अनुसार, नीतीश कैबिनेट के 14 मंत्रियों में से आठ (57 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। वहीं छह (43 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। आपराधिक मामलों वाले 8 मंत्रियों में से बीजेपी के 4, जेडीयू के 2 और हम व वीआईपी के एक-एक शामिल हैं। हालांकि, चौधरी को मंत्रिमंडल में शामिल करते ही हंगामा शुरू हो गया। 2017 में चौधरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनसे मिलने से भी इनकार कर दिया था।

मेवालाल चौधरी का नाम बीएयू भर्ती घोटाले में सामने आया था और राजभवन के आदेश से उनके खिलाफ 161 सहायक प्रोफेसर और कनिष्ठ वैज्ञानिकों की नियुक्ति के मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बता दें कि 12.31 रुपए की घोषित संपत्ति के साथ चौधरी सबसे अमीर मंत्री हैं। वहीं, 14 मंत्रियों की औसत संपत्ति 3.93 करोड़ रुपए है।

मेवालाल चौधरी ने अपने शपथ पत्र में आईपीसी के तहत एक आपराधिक मामला और चार गंभीर मामले घोषित किए हैं। पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री मुकेश सहनी ने पांच आपराधिक मामलों और गंभीर प्रकृति के तीन मामलों की घोषणा की है। बीजेपी के जिबेश कुमार ने भी पांच आपराधिक मामलों और गंभीर प्रकृति के चार मामलों की घोषणा की है। वहीं पांच अन्य हैं जिनके खिलाफ अलग-अलग प्रकृति के आपराधिक मामले दर्ज हैं।

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