भारत को अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है ग्लोकल विश्वविद्यालय का लक्ष्य : प्रोफ़ेसर भारती

ग्लॉकल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर (डॉ०) पी० के० भारती के नेतृत्व में भारत को शोध, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहारनपुर स्थित ग्लोकल विश्वविद्यालय तेजी से कार्य कर रहा है। यहां के शोधार्थियों और शिक्षकों ने पिछले दस महीनों में कुल 200 पेटेंट दाखिल किए हैं, जिनमें से 175 प्रकाशित भी हो चुके हैं। इस प्रकार अब तक, ग्लोकल विश्वविद्यालय द्वारा दायर पेटेंट में 85 % पेटेंट पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं।

इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर (डॉ०) पी० के० भारती ने हर्ष व्यक्त किया और विश्वविद्यालय के शिक्षकों और शोधार्थियों द्वारा देश-विदेश की विश्वविद्यालयों के अनुरूप उच्च श्रेणी के सभी मानदंडों के अनुसार शोध कार्य करने के लिए उनकी सराहना की।
प्रोफेसर भारती ने बताया कि सभी विभाग प्रोफेसर (डॉ०) प्रमोद कुमार के दिशा निर्देशन में समन्वित रूप से कार्य कर रहे हैं और इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, पैरामेडिकल, एग्रीकल्चर, फॉर्मेसी आदि विभिन्न विषयों पर शोध सहित पेटेंट का कार्य प्रगति पर हैं और इसी श्रृंखला में विश्वविद्यालय को यह उपलब्धि हासिल हुई है।

ग्लोकल विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर (डॉ०) प्रमोद कुमार

विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि के बारे में बताते हुए ग्लोकल विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर (डॉ०) प्रमोद कुमार ने कहा कि यूनिवर्सिटी और उच्च शिक्षा संस्थान युवाओं को नवाचार और अनुसंधान के क्षेत्र में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करने में और युवा दिमाग को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जिसका सीधा प्रभाव राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि पर भी पड़ता है ।
नवाचार के क्षेत्र में किसी राष्ट्र की वैश्विक स्थिति देश भर के विश्वविद्यालयों द्वारा दायर किए गए पेटेंट से भी होती है। 175 पेटेंट के साथ ग्लोकल विश्वविद्यालय भी भारत के अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में एक प्रमुख हिस्सेदारी में योगदान दे रहा है। विश्वविद्यालय चिकित्सा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मिशन पर मजबूती से काम कर रहा है। विश्वविद्यालय का लक्ष्य वैश्विक स्तर पर पेटेंट दाखिल करने में भारत को शीर्ष देशों में स्थान दिलाना है।

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