कांग्रेस की रीढ़ समझे जाने वाले गुलाम नबी आजाद ने पार्टी को कहा अलविदा! 5 पन्नों का इस्तीफा लिख उठाए कई सवाल…

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वो काफी लंबे समय से पार्टी की नीतियों को लेकर नाराज चल रहे थे और जम्मू में जो पार्टी ने उन्हें जिम्मेदारी दी थी उससे वो पहले ही इस्तीफा दे चुके थे। बता दें, कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने उन्हें जम्मू-कश्मीर कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन आजाद ने 2 घंटे बाद ही इससे इस्तीफा दे दिया था। गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पेज का इस्तीफा भेजा है।

आजाद ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में कांग्रेस से जुड़ने का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि छात्र जीवन में महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों से प्रभावित हुआ था। उन्होंने लिखा है कि 1975-76 में संजय गांधी के आग्रह पर जम्मू-कश्मीर युवा कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला था। आजाद ने लिखा है कि उन्होंने बिना किसी स्वार्थ भाव के दशकों तक पार्टी की सेवा की है।

73 साल के आजाद अपनी सियासत के आखिरी पड़ाव पर फिर प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालना चाह रहे थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी बजाय 47 साल के विकार रसूल वानी को ये जिम्मेदारी दे दी। वानी गुलाम नबी आजाद के बेहद करीबी हैं। वे बानिहाल से विधायक रह चुके हैं। आजाद को यह फैसला पसंद नहीं आया। कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व आजाद के करीबी नेताओं को तोड़ रहा है और आजाद इससे खफा हैं।

गुलाम नबी आजाद पार्टी से अलग उस जी 23 समूह का भी हिस्सा थे, जो पार्टी में कई बड़े बदलावों की पैरवी करता है। उन तमाम गतिविधियों के बीच इस इस्तीफे ने गुलाम नबी आजाद और उनके कांग्रेस के साथ रिश्तों पर सवाल खड़ा कर दिया है। केंद्र ने इसी साल गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया है।

आजाद का राज्यसभा का कार्यकाल 15 फरवरी 2021 को पूरा हो गया था। उसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि किसी दूसरे राज्य से उन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा। आजाद का कार्यकाल खत्म होने वाले दिन उन्हें विदाई देते हुए PM नरेंद्र मोदी भावुक हो गए थे। 2021 में मोदी सरकार ने गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण सम्मान दिया था।

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