दिल्ली में पटाखा पर प्रतिबंध लेकिन झारखंड में कभी भी फूट सकता है एटम बम ? राजनीतिक उथल-पुथल की आशंका के बीच राज्यपाल का बयान….

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने रायपुर में बड़ा बयान दिया है। राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता के मामले में चुनाव आयोग से उन्होंने सेकेंड ओपिनियन मांगा है। इसके मिलते ही वह निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। ये उनका विशेषाधिकार है।

आदेश की प्रतिलिपि देने का प्रावधान नहीं है!
दीपावली पर अपने घर गए गवर्नर ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि पद संभालने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से संबंधित शिकायत मिली थी जो चुनाव से संबंधित थी। इसलिए हमने चुनाव आयोग को पत्र भेज मंतव्य मांगा। मंतव्य मिलने के बाद गवर्नर बाध्य नहीं है कि कब आर्डर जारी करे। उनके पास आयोग का पत्र आते ही सियासी हलचल चालू हो गई। घबराने की कोई बात नहीं है। जो होना है, वह होगा। मीडिया में कई अटकलें लगाई गईं। मेरे पास झामुमो का प्रतिनिधिमंडल आया। उसने आयोग के पत्र की कॉपी मांगी। आदेश की प्रतिलिपि देने का प्रावधान नहीं है। इस संबंध में अपील को आयोग ने भी अस्वीकार कर दिया।

झारखंड में कभी भी फूट सकता है एटम बम
राज्यपाल रमेश बैस ने एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि दिल्ली में पटाखे प्रतिबंधित हैं, लेकिन झारखंड में कभी भी ‘एटम बम’ फूट सकता है। राज्यपाल का यह बयान झारखंड के सियासी घटनाक्रम के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में सरकार को अस्थिर करने की उनकी कोई मंशा नहीं है।

सरकार को अस्थिर करने की कोई मंशा नहीं
सत्तापक्ष के आरोपों और रायपुर में झारखंड के विधायकों को रखने से जुड़े सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि सरकार को अस्थिर करने की अगर उनकी मंशा होती तो आयोग की सिफारिश पर निर्णय ले चुके होते। लेकिन वह बदला लेने या बदनाम करने की भावना से काम नहीं करते। वह संवैधानिक पद पर हैं और उन्हें संविधान की रक्षा करनी है। यही कारण है कि उन्होंने चनाव आयोग से सेकेंड ओपिनियन मांगा है। ऐसा इसलिए भी किया कि कोई उनपर अंगुली न उठाए।

मुख्यमंत्री और सरकार का प्रतिनिधिमंडल मिल चुका
मंतव्य की प्रति नहीं मिली हाल के दिनों में मुख्यमंत्री, झामुमो, यूपीए प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से आयोग के मंतव्य की प्रति मांग चुके हैं। सीएम ने वकीलों के माध्यम से भी मंतव्य की जानकारी मांगी थी। लेकिन, आयोग ने इसे दो संवैधानिक संस्थाओं के बीच का मामला बताते हुए देने से मना कर दिया। यूपीए के विधायक दल ने पत्रकार वार्ता कर यहां तक आशंका जाहिर कर दी है कि राज्यपाल फैसला लेने में देरी कर विधायकों की खरीद फरोख्त को हवा दे रहे हैं। इसके बाद राज्यपाल ने एक कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा था कि आयोग का लिफाफा इतना जोर से चिपका है कि खुल ही नहीं रहा है। सीएम ने हाल में पत्रकारों से वार्ता के दौरान यहां तक कहा कि यदि वह दोषी हैं तो उन्हें सजा दी जाए।

सत्तापक्ष और विपक्ष राज्यपाल के बयान पर क्या बोला
राज्यपाल के हालिया बयान को लेकर झारखंड की अलग-अलग पार्टियों की ओर से प्रतिक्रिया आई है। झामुमो नेता विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि दोबारा मंतव्य मांगना संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। लगता है कि मामले को मैन्युप्लेट करने की साजिश चल रही है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि राज्यपाल का निर्णय संवैधानिक कार्य है। इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं। सभी पार्टियों को संवैधानिक निर्णयों का सम्मान करना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक पद पर हैं। उन्हें जितना ओपिनियन लेना है लें, पर मीडिया में बयानबाजी ना करें। राजभवन को सियासी अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए

चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को सौंपा है मंतव्य
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम खनन लीज मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को अपना मंतव्य राजभवन को सौंपा। मामले में भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से शिकायत कर सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। इस आधार पर राज्यपाल ने आयोग से मंतव्य मांगा था। आयोग ने मुख्यमंत्री और भाजपा के साथ सुनवाई के बाद मंतव्य राजभवन को सौंपा। राज्यपाल का अब तक निर्णय नहीं आने से राज्य में सियासी संशय की स्थिति है।

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