भारतीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों की तारीख का एलान कर दिया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि दोनों राज्यों में 21 अक्तूबर को चुनाव होंगे और 24 अक्तूबर को नतीजे आएंगे।
दोनों राज्यों में चुनाव की तारीख तय होने के साथ ही इन राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि
27 सितंबर को चुनाव की अधिसूचना जारी होगी
04 अक्तूबर नामांकन की अंतिम तिथि होगी
07 अक्तूबर तक नामांकन वापस लेने की तारीख
21 अक्तूबर को मतदान होगा
24 अक्तूबर को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे
इससे पहले उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों को क्रिमिनल रिकॉर्ड और संपत्ति की जानकारी देनी होगी। 30 दिन में चुनावी खर्च की जानकारी देनी होगी। प्लास्टिक का इस्तेमाल उम्मीदवार न करें।
महाराष्ट्र:
नौ नवंबर को पूरा होगा महाराष्ट्र सरकार का मौजूदा कार्यकाल
महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव
महाराष्ट्र में 8.9 करोड़ मतदाता डालेंगे वोट
चुनाव में 1.8 लाख ईवीएम मशीनें लगेंगी
साल 2014 में भाजपा 122 और शिवसेना 63 सीटों पर जीती थी
वहीं, कांग्रेस को 42, एनसीपी को 41 और अन्य को 20 सीटें मिली थी
हरियाणा:
दो नवंबर को पूरा होगा हरियाणा सरकार का मौजूदा कार्यकाल
हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव
हरियाणा में 1.28 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे
मतदान के लिए ईवीएम मशीनें लगाई जाएंगी
साल 2014 में भाजपा को 47 और कांग्रेस को 15 सीटों पर जीत मिली थी
वहीं, आईएनएलडी+ 20 और अन्य को आठ सीटों पर जीती थी
हरियाणा में कायम रह पाएगा भाजपा का वर्चस्व?
साल 2014 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इतिहास बनाते हुए पहली बार अपने दम पर सरकार बनाई थी। राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में भाजपा ने 47 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, कांग्रेस को 15, इंडियन नेशनल लोकदल को 19 सीटें मिली थीं। इसके अलावा अन्य व निर्दलीयों ने नौ सीटों पर जीत दर्ज की थी।
हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा की सफलता का सबसे बड़ा कारण बिखरा विपक्ष था।
कांग्रेस में चल रही गुटबाजी और इनेलो के बिखराव ने भाजपा की जीत तय करने में अहम भूमिका निभाई थी। राजनीति के विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे जाट मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के पास आया।
महाराष्ट्र में कुछ ऐसी बिछी है राजनीतिक शतरंज
288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में साल 2014 का चुनाव भाजपा और शिवसेना ने अलग-अलग लड़ा था।
124 सीटों पर जीत हासिल करने के साथ भाजपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। चुनाव के बाद भाजपा-शिवसेना की सरकार बनी थी। इस बार दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेंगी। वहीं, इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी मिलकर भाजपा-शिवसेना गठबंधन से मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।
झारखंड में रहेगा पिछड़ा वर्ग आरक्षण का मुद्दा
साल 2014 में झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 81 में से 37 सीटों पर जीत हासिल की थी।
भाजपा और अजसू ने मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी। बाद में झारखंड मुक्ति मोर्चा के छह विधायक भाजपा में आ गए थे। वर्तमान में राज्य में भाजपा के 43 विधायक हैं वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा के 19 और कांग्रेस के छह विधायक हैं। भाजपा ने इस बार झारखंड में 65 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।