एनएचएआई के रोड लेवलर से कुचलकर बुजुर्ग की मौत , लेवलर चालक को ग्रामीणों ने पकड़ पुलिस के सुपुर्द किया…

बेलीपार के बरईपार में सर्विस लेन पर केशवधर की मौत से आसपास के लोग भी सहम गए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि चालक ने अचानक ही रोड लेवलर मशीन को पीछे कर दिया, जिस वजह से केशवधर को बचने का मौका ही नहीं मिला। सब लोग दौड़े भी, जान बचाने के लिए अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी बुला ही रहे थे कि उनकी मौत हो गई।

गोरखपुर के बेलीपार थाना इलाके के बरईपार मोड़ के सामने सर्विस रोड पर सड़क पार करते समय एनएचएआई के रोड लेवलर से कुचलकर बुजुर्ग की मौत हो गई। घटना के बाद चालक ने लेवलर लेकर मौके से भागने की कोशिश की लेकिन ग्रामीणों ने दो किलोमीटर तक पीछा कर उसे पकड़ लिया और पुलिस को सुपुर्द कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

जानकारी के मुताबिक, बेलीपार थाना क्षेत्र के बरईपार निवासी 75 वर्षीय केशवधर दुबे शनिवार दोपहर में बगल के गांव चंदौली जाने के लिए रोड पार कर रहे थे। उसी दौरान गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन से लगे डंवरपार बाजार के सर्विस रोड पर कार्य कर रहे रोड लेवलर के ड्राइवर ने लापरवाहीपूर्वक तेज गति से गाड़ी बैक कर दिया। इससे बुजुर्ग लेवलर के नीचे आ गए और उनकी मौत हो गई।

घटना की सूचना पर पहुंची बेलीपार पुलिस ने गाड़ी को कब्जे में ले लिया है। हालांकि हादसे के बाद चालक, लेवलर को लेकर भागने लगा। इस दौरान ग्रामीण एकत्र हो गए थे और वे भाग रहे चालक का पीछा करने लगे। करीब दो किलोमीटर के बाद चालक को लेवलर के साथ पकड़ लिया। केशवधर दुबे के तीन पुत्र हैं।

अस्पताल ले जाने से पहले ही हुई मौत

बेलीपार के बरईपार में सर्विस लेन पर केशवधर की मौत से आसपास के लोग भी सहम गए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि चालक ने अचानक ही रोड लेवलर मशीन को पीछे कर दिया, जिस वजह से केशवधर को बचने का मौका ही नहीं मिला। सब लोग दौड़े भी, जान बचाने के लिए अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी बुला ही रहे थे कि उनकी मौत हो गई। केशवधर की मौत की खबर सुनकर गांव में रहने वाला बेटा भी आ गया।
केशवधर के दो और बेटे हैं, लेकिन वह परिवार लेकर शहर के बाहर रहते हैं। गांव पर रहने वाले बेटे से केशवधर के रिश्ते ठीक नहीं थे। इस वजह से वह गांव में ही अलग मकान में रहते थे। मजदूरी करने के अलावा अपने बाहर रहने वाले बेटों के घर भी चले जाते थे।

गांव के लोगों ने बताया कि वह किसी की भी मदद के लिए आगे आ जाते थे। कभी कुछ नहीं कहते थे। अक्सर सड़क पर इधर-उधर एक दूसरे से मिलते ही रहते थे। शनिवार को भी एक दुकान पर बैठकर चाय पीने के बाद पैदल ही घर के ओर जा रहे थे कि हादसा हो गया।

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