देहरादून : आबादी क्षेत्र में हाईटेंशन लाइनों के नीचे बने मकान होंगे ध्वस्त पिटकुल ने 200 से ज्यादा लोगों को जारी किए नोटिस….

न जान की फिक्र और न नियमों का पालन। सस्ते में जमीन मिल गई तो बना दिए हाईटेंशन बिजली तारों के नीचे मकान। दून में किसी एक क्षेत्र में नहीं बल्कि हर क्षेत्र में ऐसा नजारा देखा जा सकता है, जहां लोगों ने हाईटेंशन लाइन के नीचे भी बड़ी इमारतें खड़ी कर रखी हैं। अब पॉवर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड (पिटकुल) ऐसे लोगों के खिलाफ सख्ती बरतेगा और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करेगा। साथ ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी की जाएगी।

पिटकुल के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल के अनुसार, हाईटेंशन लाइन का करंट किसी व्यक्ति को बीस फुट की दूरी से खींच सकता है। छत से गुजर रहे हाईटेंशन तार से घर में करंट दौड़ने और झुलसने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। बावजूद इससे हाईटेंशन तारों के नीचे दर्जनों घर बन गए हैं। नियम यह है कि हाईटेंशन लाइन के 23 से 35 फुट के दायरे में कोई निर्माण नहीं होना चाहिए, लेकिन यहां तो कई जगहों पर लोगों ने हाईटेंशन लाइन के नीचे दो-दो मंजिल तक मकान बना रखे हैं। अब पिटकुल ऐसे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

ये हैं हाईटेंशन लाइनों के नियम

  • सड़क से 5.5 मीटर ऊंचे हों
  • सड़क से गुजर रहे तार पर गार्डिंग अनिवार्य
  • रेलवे लाइन के पास नहीं हों
  • सार्वजनिक स्थान से दूर हों
  • आबादी वाले क्षेत्र में इंसुलेटेड एचटी तार का प्रयोग हो
  • 132 केवी एचटी लाइन के 23 मीटर की दूरी पर मकान बनें
  • 220 केवी एचटी लाइन के 35 मीटर दूर घर बनें
    खतरनाक होते हैं एचटी तार
  • 23 से 35 मीटर की दूरी से भी झुलसने का डर
  • टूट कर गिरे तो दूर-दूर तक तबाही
  • जमीन पर गिरने से दरार और करंट प्रवाह
  • पतंग के मांझे से करंट का प्रवाह
  • आसपास मोबाइल प्रयोग से करंट
    200 से अधिक को भेजे जा चुके हैं नोटिस
    हाईटेंशन लाइनों व टावरों के नीचे घर और अन्य निर्माण करने पर पिटकुल अभी तक 200 से अधिक लोगों को नोटिस भेज चुका है। इसके साथ ही कई निर्माण ध्वस्त किए जा चुके हैं। इसके बाद भी लगातार लाइनों के नीचे घरों के बनाने का कार्य नहीं रुक रहा है।
    कोट :
    अभी तक ऐसे लोगों को नोटिस भेजकर चेतावनी दी जाती थी। साथ ही उन्हें लाइनों के नीचे बने घर को ध्वस्त करने के लिए कहा गया, लेकिन कई लोगों ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। अब ऐसे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। साथ ही जिलाधिकारी से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की मांग की जाएगी।
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