विशेष संवाददाता: अभिजीत शर्मा, देहरादून से देहरादून। राजधानी देहरादून के मांडूवाला क्षेत्र स्थित कर्मा वेलफेयर सोसाइटी नशा मुक्ति केंद्र में उस समय सनसनी फैल गई जब दो मरीजों ने मिलकर एक अन्य मरीज की नृशंस हत्या कर दी। घटना ने पूरे जिले को हिला कर रख दिया है और नशा मुक्ति केंद्रों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हत्या की खौफनाक पटकथा
मृतक की पहचान 52 वर्षीय अजय कुमार के रूप में हुई है, जो उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के जाहिदपुर के निवासी थे। उन्हें शराब की लत के इलाज हेतु 8 अप्रैल को केंद्र में भर्ती कराया गया था।
आरोपी—गुरदीप सिंह और हरमनदीप सिंह, दोनों पंजाब के बठिंडा के निवासी हैं, जिन्हें क्रमशः 31 मार्च और 13 अप्रैल को स्मैक की लत छुड़ाने के लिए भर्ती किया गया था।
बताया जा रहा है कि घटना 24 अप्रैल की सुबह करीब 10:45 बजे की है। अजय ने सीने में दर्द की शिकायत की थी, जिसके बाद उन्हें आराम के लिए कमरे में भेजा गया। इसी दौरान गुरदीप और हरमनदीप उनके कमरे में घुसे और तकिये से मुंह दबाकर, चम्मच से गर्दन और सीने पर हमला कर दिया। अजय की मौके पर ही मौत हो गई।
“हमें जेल जाना था…”
हत्या के बाद दोनों आरोपी भागने की बजाय खुद ही स्टाफ के सामने आत्मसमर्पण कर बैठे। पुलिस पूछताछ में उन्होंने जो कहा, वह और भी चौंकाने वाला था—“सेंटर की पाबंदियों से परेशान थे। यहां की जिंदगी जेल से भी बदतर लगती थी। अब कम से कम जेल में चैन की सांस मिलेगी।”
प्रबंधन पर उठे सवाल
हत्या के लिए इस्तेमाल किया गया चम्मच नशा मुक्ति केंद्र के ही किचन से लिया गया था। सवाल ये उठता है कि सेंटर में मरीजों की निगरानी किस हद तक हो रही है? क्या मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्तियों की काउंसलिंग हो रही है या नहीं?
पहले भी उठ चुके हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब देहरादून के नशा मुक्ति केंद्रों से इस तरह की खबरें आई हों। इससे पहले भी नेहरू कॉलोनी, चंद्रबनी और शिमला बाइपास स्थित सेंटरों में मरीजों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौतें हो चुकी हैं।
प्रशासन सख्त, जांच के आदेश
डीआईजी और जिला प्रशासन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, सभी नशा मुक्ति केंद्रों की कार्यप्रणाली और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की जा रही है।