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कोरोना एक नई किताब है, जाने राहुल गाँधी का विशेषज्ञों के साथ बातचीत के दौरान क्या कुछ कहना था

देश में लॉकडाउन लागू किए जाने के काफी पहले से कांग्रेस नेता राहुल गांधी कोरोना को लेकर सरकार को आगाह करते आ रहे थे। लॉकडाउन के दौरान पैदल ही अपने घरों की ओर लौट रहे मजदूरों का भी हाल-चाल जानते वह देखे गए। सोशल मीडिया के माध्यम से भी वह लगातार सरकार से सवाल पूछ रहे हैं और विशेषज्ञों से भी बात कर रहे हैं। इस कड़ी में उन्होंने आज दुनिया के दो स्वास्थ्य विशेषज्ञों से बातचीत की।

हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर झा ने कहा लॉकडाउन का कारण यह है कि आप वायरस के प्रसार को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। मानवता ने इस वायरस को कभी नहीं देखा है। इसका मतलब है कि हम सभी अतिसंवेदनशील हैं।राहुल ने कहा कि मुझे विश्वास है कि इसके बाद हमारे पास एक नई दुनिया होगी। लोग कहते हैं कि 9/11 एक नया अध्याय था। खैर, यह एक नई किताब है।

राहुल गांधी ने पूरी बातचीत अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड की है। लगभग आधे घंटे के इस वीडियो में राहुल ने शुरुआती 20 मिनट से ज्यादा की बातचीत हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा से की। इसके बाद उन्होंंने स्वीडन के प्रोफेसर जोहान से बात की। इसी चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर झा से मजाकिया अंदाज पूछा – भैया, वैक्सीन कब आएगी?

प्रोफेसर झा ने कहा कि- अब, जब आप अर्थव्यवस्था खोलते हैं, तो आपको लोगों को विश्वास दिलाना होता है।  राहुल ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि उन्हें सबसे बड़ा डर अनिश्चितता का था। प्रोफेसर झा ने सहमति व्यक्त की और कहा कि सरकार को लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए एक रणनीति बनाने की आवश्यकता है।

30 अप्रैल को राहुल गांधी ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के साथ बातचीत की थी। तब उन्होंने सुझाव दिया था कि सरकार गरीबों को सीधे नकद हस्तांतरित करे और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को मदद के लिए भोजन की आपूर्ति करे। कोरोना वायरस बीमारी (कोविद -19) के प्रकोप और फलस्वरूप 40 दिनों के लॉकडाउन के प्रभाव पर उनका अनुमान है, इस प्रयास का अनुमान 65,000 करोड़ रुपये होगा।

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