कोरोना संक्रमण से भी नहीं बचा पाएगी वैक्सीन- सिर्फ मौतों की तादाद कम कर सकता है:दावा

एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि कोविड-19 के उपचार के लिए विकसित किए जा रहे टीके वायरस के संक्रमण को नहीं रोक सकते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना के लगातार बढ़ते खतरे से अर्थव्यवस्थाओं को काफी नुकसान हुआ है। इसके चलते अर्थव्यवस्था को ढहने से रोकने के लिए कोविड-19 के उपचार के लिए विभिन्न देश वैक्सीन तैयार करने में जुटे हैं, जो लोगों को वास्तव में बीमार होने या मरने से रोक सकती हैं।

लेकिन ये वैक्सीन लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से नहीं बचा सकती हैं। इसमें संक्रमण को खत्म करने की क्षमता नहीं है। यह अध्ययन इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं ने किया है।

शुरुआती टीके सिर्फ प्रायोगिक स्तर पर सफल रहेंगे
प्रोफेसर रॉबिन शटॉक के अनुसार, शुरुआती टीके सिर्फ प्रायोगिक स्तर पर ही सफल साबित हो सकते हैं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या इन टीकों के जरिए संक्रमण से सुरक्षा मिलेगी, क्या यह बीमारी को खत्म करेंगे और क्या यह गंभीर बीमारी से सुरक्षा देने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना है कि ये टीका केवल गंभीर बीमारी से बचाने में उपयोगी साबित होगा। इस पर कैलिफोर्निया के एक प्रतिरक्षाविज्ञानी और वैक्सीन शोधकर्ता डेनिस बर्टन ने कहा कि फिलहाल बीमारी से बचाने के लिए टीकों की जरूरत है। संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी नहीं।

टीके विकसित करने को अरबों खर्च हो रहे
जैसे-जैसै देश लॉकडाउन से बाहर आ रहे हैं, वैसे-वैसे देशों के प्रमुख महामारी वाली जिंदगी से बाहर आने के लिए एक सुरक्षात्मक उपाय खोज रहे हैं। चीन व अमेरिका सहित कई अन्य देशों की कंपनियां टीका विकसित करने में लगी हैं और इसके लिए सरकारी निवेश से अरबों डॉलर खर्च किए जा रहे हैं।

वहीं, दूसरी ओर जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह दावा किया है कि कोरोना वायरस इंसान के दिमाग की कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है। इतना ही नहीं, यह दिमाग में सिर्फ तीन दिन में दस गुना बढ़ जाता है।

 अध्ययनकर्ता डॉ. थॉमस हर्टंग मानते हैं कि यह शोध चिकित्सकों को कोरोना मरीज के इलाज के दौरान न्यूरोलॉजी संबंधी सावधानियां बरतने के लिए प्रेरित करेगा और इस खतरे से निपटने के लिए उपचार के तरीके इजाद हो पाएंगे। मस्तिष्क पर संक्रमण के प्रभाव को जानने के लिए यह शोध किया गया।

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