भारतीय वित्त मंत्रालय ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें ChatGPT और DeepSeek जैसे एआई टूल्स और एप्लिकेशन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया है। इस प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य संवेदनशील सरकारी डेटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और संभावित साइबर खतरों को रोकना है।
सरकार ने यह प्रतिबंध तीन मुख्य कारणों से लगाया है:
- डेटा लीक का खतरा: ChatGPT और DeepSeek जैसे एआई मॉडल उपयोगकर्ता द्वारा डाले गए डेटा को बाहरी सर्वरों पर प्रोसेस करते हैं। इसका मतलब है कि यदि सरकारी कर्मचारी गोपनीय जानकारी इन टूल्स में दर्ज करते हैं, तो वह डेटा संग्रहीत, एक्सेस या दुरुपयोग हो सकता है।
- एआई मॉडल पर सरकारी नियंत्रण की कमी: सरकारी कार्यालयों में उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक सॉफ्टवेयर के विपरीत, एआई टूल्स क्लाउड-आधारित होते हैं और निजी कंपनियों के स्वामित्व में होते हैं। उदाहरण के लिए, ChatGPT का स्वामित्व OpenAI के पास है, और सरकार के पास यह नियंत्रित करने का कोई तरीका नहीं है कि ये टूल्स जानकारी को कैसे संग्रहीत या प्रोसेस करते हैं।
- डेटा संरक्षण नीतियों का अनुपालन: भारत डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम, 2023 जैसे कड़े डेटा सुरक्षा कानूनों पर काम कर रहा है। यदि सरकारी कर्मचारियों को बिना स्पष्ट नियमों के एआई टूल्स का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है, तो इससे डेटा सुरक्षा नीतियों का उल्लंघन हो सकता है और सरकारी सिस्टम को साइबर हमलों के प्रति असुरक्षित बना सकता है।
- रिपोर्ट:- कनक चौहान