अमेरिकी राजनीति में बड़ा मोड़ आया जब मैनहट्टन स्थित इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति पर सख्त रुख अपनाते हुए तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि ट्रंप ने अपने संवैधानिक दायरे से बाहर जाकर ट्रेड पॉलिसी में हस्तक्षेप किया है, जो कानूनन गलत है।
क्या है मामला?
बता दे की डोनाल्ड ट्रंप ने 3 अप्रैल को दुनिया के कई देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिनमें भारत, चीन, यूरोपीय यूनियन, जापान, कोरिया, वियतनाम और ताइवान जैसे बड़े नाम शामिल थे। ट्रंप प्रशासन का कहना था कि यह टैरिफ “रेसिप्रोकल” यानी जैसे को तैसा नीति पर आधारित है।
टैरिफ क्या होता है?
आपको बता दे की टैरिफ एक सीमा शुल्क है, जो विदेश से आने वाले सामानों पर सरकार द्वारा वसूला जाता है। इससे विदेशी सामान महंगा हो जाता है और घरेलू उत्पादों को बढ़ावा मिलता है।
अमेरिका का व्यापार घाटा
अमेरिका को चीन, मैक्सिको और कनाडा से बड़े पैमाने पर व्यापार घाटा हो रहा है। 2023 में अमेरिका का व्यापार घाटा कुछ इस तरह रहा:
- चीन: 30.2%
- मेक्सिको: 19%
- कनाडा: 14.5%
अब आगे क्या होगा?
वही कोर्ट की सख्ती ने ट्रंप की टैरिफ नीति पर फिलहाल ब्रेक लगा दिया है। सरकार को अब अदालत में यह साबित करना होगा कि राष्ट्रपति को इतना अधिकार है कि वे एकतरफा व्यापारिक टैक्स तय कर सकें। यदि कोर्ट का फैसला ट्रंप के खिलाफ जाता है, तो यह अमेरिका में कार्यपालिका और विधायिका के बीच अधिकारों की नई बहस को जन्म दे सकता है।
रिपोर्ट:- कनक चौहान
