- उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर प्रयागराज से बड़ी खबर आ रही है।
- राज्य सरकार की तैयारियों पर फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट (Prayagraj High Court) ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने आरक्षण प्रक्रिया पर भी रोक लगाई है।
- अभी यूपी में पंचायत चुनाव पर ब्रेक लग गया है। शुक्रवार को प्रयागराज हाईकोर्ट ने यह आदेश अजय कुमार बनाम राज्य सरकार की जनहित याचिका दिया है।
- हाईकोर्ट ने आरक्षण और आवंटन कार्रवाई रोक दी है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
- जिस पर सोमवार को सरकार जवाब दाखिल करेगी।
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर बड़ी खबर फिलहाल अंतिम आरक्षण सूची पर लगाई गई रोक …..17 मार्च को अंतिम सूची का आरक्षण की सूची का फाइनल होना था और अंतिम प्रकाशन होना था परंतु हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई है उसी के आधार पर तत्काल हाई कोर्ट ने फिलहाल अंतिम प्रकाशन नहीं करने पर रोक लगाई है हो सकता है कि कोर्ट इस मामले में सुनवाई करें और सुनवाई के बाद कुछ फेरबदल भी हो सकता है
इसलिए फिलहाल राज्य पंचायत आयुक्त एक लेटर जारी कर बिष्ट के अंतिम प्रकाशन पर रोक लगा दी है कि अभी तो आरक्षण की सूची को अंतिम रूप से प्रकाशित नहीं किया जा सकता हो सकता है कि आरक्षण की प्रक्रिया जो है उसमें कोर्ट कुछ सुधार करें या कोई बदलाव देखने को मिले इसलिए पंचायत चुनाव पर फिलहाल अंतिम सूची के प्रकाशन पर रोक लगा दी गई है
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण प्रक्रिया गतिमान है। पिछले सप्ताह राज्य के सभी जिलों में जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायतों के लिए प्रस्तावित आरक्षण की घोषणा की गई थी। जिस पर आपत्तियां मांगी गई थीं। इन आपत्तियों का निस्तारण कर दिया गया है। शुक्रवार की देर शाम तक अंतिम आरक्षण और आवंटन की घोषणा की जानी थी।
अब इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट में अजय कुमार बनाम राज्य सरकार जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने आरक्षण प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। लिहाजा, प्रकरण पर सुनवाई पूरी होने तक यह आरक्षण प्रक्रिया स्थगित रहेगी।
ब्लॉक प्रमुखों का आरक्षण इस तरह लागू होने थे
पूरे उत्तर प्रदेश में ब्लॉक प्रमुखों के 826 पदों पर चुनाव करवाया जाना था। इनमें से पांच क्षेत्र पंचायतों में प्रमुख के पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिए गए थे। 171 ब्लाक प्रमुख अनुसूचित जातियों से निर्वाचित होने थे। इसके अलावा 223 क्षेत्र पंचायतों में प्रमुखों के पद पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित कर दिए गए थे। क्षेत्र पंचायतों में भी महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू किया गया था।