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किसान नेताओं का बड़ा ऐलान- अब यूपी के सभी टोल प्लाजा कराएंगे फ्री- बताई रणनीति….

नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने आज गाजीपुर बॉर्डर के धरना स्थल पर हुई बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा की। इस दौरान किसान नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि अब यह आंदोलन और तेजी से बढ़ रहा है और आगे आने वाले दिनों में देशभर के किसान एकजुट होकर लगातार सरकार पर दबाव बनाएंगे। किसान महापंचायतों को भी बढ़ाया जाएगा। इन काले कानूनों के खिलाफ पूरे देश का किसान एकजुट है। 

कल बॉर्डर पर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी, दर्शनपाल और बलवीर सिंह राजेवाल के बीच बैठक हुई, उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की तरह किसान जल्द ही यूपी के टोल प्लाजा भी फ्री कराएंगे। इसको लेकर किसान संगठनों के साथ बातचीत चल रही हैं और जल्द ही इसका दिन भी घोषित किया जाएगा।

दर्शन पाल ने बताया कि 14 फरवरी को पुलवामा हमले में शहीद जवानों के बलिदान को याद करते हुए देशभर में कैंडल मार्च व मशाल जुलूस व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 16 फरवरी को किसान मसीहा सर छोटूराम की जयंती के दिन देशभर में किसान एकजुटता दिखाएंगे और 18 फरवरी को दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक देशभर में रेल रोको कार्यक्रम किया जाएगा। 

वहीं, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आज फिर दोहराया कि कृषि कानून (Farm Laws) रद्द होने के बाद ही ‘घर वापसी’ होगी। टिकैत ने कहा कि सरकार अगर किसानों के साथ बातचीत करना चाहती है तो सिंघु बॉर्डर पर आकर बातचीत कर सकती है। हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं।  

गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 80वें दिन भी जारी है।

बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे। 

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