प्रयागराज के इसौटा गांव में रविवार की शाम उस वक्त तनाव गहराने लगा, जब पुलिस ने भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर रावण को गांव में प्रवेश करने से रोक दिया। चंद्रशेखर, अप्रैल में संदिग्ध परिस्थितियों में जलकर मारे गए युवक देवीशंकर के परिवार से मिलने जा रहे थे। परिजनों का आरोप है कि देवीशंकर की हत्या की गई थी और अब भी वे न्याय की आस लगाए बैठे हैं। जब यह खबर फैली कि सांसद को गांव जाने से रोका गया है, तो वहां पहले से मौजूद भीम आर्मी कार्यकर्ता भड़क उठे। करछना तहसील के हनुमानपुर मोरी से लेकर भड़ेवरा बाजार तक माहौल हिंसक हो गया। बसों, पुलिस वाहनों और आम लोगों की गाड़ियों पर पथराव हुआ, दुकानों में तोड़फोड़ की गई, दुकानदारों व राहगीरों के साथ मारपीट की गई। पुलिस के पहुंचते ही उपद्रवियों ने उन पर भी पत्थर बरसाने शुरू कर दिए।
स्थिति बिगड़ती देख आसपास के कई थानों की पुलिस और पीएसी को बुलाना पड़ा। तनाव इतना बढ़ गया कि ग्रामीण भी पुलिस के समर्थन में आ गए और उपद्रवियों का विरोध करने लगे। दरअसल, इस बवाल की जड़ 13 अप्रैल को हुई एक दर्दनाक घटना है, जब देवीशंकर की आग में झुलसकर मौत हो गई थी। प्रशासन ने उनके परिजनों को मुआवजा और ज़मीन देने का आश्वासन दिया था, लेकिन स्थानीय लोगों और भीम आर्मी का आरोप है कि कोई मदद नहीं मिली। जब यह मामला चंद्रशेखर रावण तक पहुंचा, तो उन्होंने खुद मिलने का फैसला किया। रविवार को सुबह से ही कार्यकर्ताओं की भीड़ इसौटा गांव में जुटने लगी थी। दोपहर में चंद्रशेखर प्रयागराज के सर्किट हाउस पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया। जैसे ही यह बात गांव में मौजूद समर्थकों को पता चली, उनका गुस्सा हिंसा में बदल गया। करीब तीन हजार कार्यकर्ताओं ने कई इलाकों में जमकर बवाल किया। पुलिस और पीएसी की तैनाती के बाद हालात पर काबू पाया जा सका और कई लोगों को हिरासत में लिया गया।