राहुल को स्थापित कर गई भारत जोड़ो यात्रा! दुनिया की मीडिया ने भी रखा अपना नजरिया ! विदेशी मीडिया में छाए राहुल…..

कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को श्रीनगर में समाप्‍त हुई। पिछले साल 7 सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से यह शुरू हुई थी। 136 दिनों की इस यात्रा में राहुल ने जनता से सीधे संपर्क किया। लोग बढ़चढ़कर उनकी यात्रा में शामिल हुए। इसकी चर्चा भी खूब रही। यह सब ठीक है। लेकिन, इसे लेकर कई बड़े सवाल भी हैं। इनमें पहला तो यही है कि हर यात्रा का एक मकसद होता है। क्‍या इसके जरिये वह पूरा हुआ है। हलचल पैदा करना अलग बात है। क्‍या राहुल की यात्रा कांग्रेस के लिए वोट भी लेकर आएगी? इस यात्रा से क्‍या कांग्रेस पर कोई फर्क पड़ेगा? राहुल गांधी की छवि इससे कितनी बदलेगी? विपक्ष को एकजुट कर पाने में यह कितनी सफल होगी? इस साल कई राज्‍यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले आम चुनाव में इस यात्रा से क्‍या कोई फायदा मिलेगा? ये ऐसे कुछ सवाल हैं जिनके जवाब जरूर तलाशे जाने चाहिए।

राहुल ने लाल चौक के ऐतिहासिक घंटाघर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसी के साथ उनकी यात्रा का समापन हुआ। पिछले साल उदयपुर चिंतन शिविर में इस यात्रा का रोडमैप तैयार किया गया था। इसमें जनता से जुड़ने के लिए सांस्‍कृतिक यात्रा शुरू करने की जरूरत महसूस की गई थी। इसका मुख्‍य मकसद था जनता से सीधे संपर्क। पार्टी को लगता है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जनता से दूरी ही उसके लिए दिक्‍कत का सबब बनी। राहुल ने यात्रा से जुड़ने वाले लोगों का आभार जताया।

राहुल की यात्रा ने पैदा की हलचल, क्‍या वोटों में बदलेगी?
हर यात्रा का राजनीतिक उद्देश्‍य होता है। राहुल की यात्रा भी इससे अछूती नहीं है। खासतौर से यह देखते हुए कि अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। वहीं, इस साल कई राज्‍यों में विधानसभा चुनाव हैं। इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा ने हलचल पैदा की। यात्रा में जितनी बड़ी संख्‍या में लोग शामिल हुए, वह इसका सबूत है। लेकिन, यही भीड़ कांग्रेस के लिए वोट में तब्‍दील होगी इसमें शक है। इसके लिए इंडिया टुडे-सी वोटर सर्वे उदाहरण ले सकते हैं। सर्वे में 1,40,917 लोगों की प्रतिक्रिया शामिल की गई। इसमें 37 फीसदी लोगों ने कहा कि यात्रा ने हलचल पैदा की। लेकिन, इससे चुनाव जीतने में कांग्रेस को मदद नहीं मिलेगी।

विपक्ष नहीं आ रहा साथ, कैसे चलेगा काम?
राहुल की यात्रा विपक्ष को भी एकजुट नहीं करती है। समापन समारोह में आमंत्रित की गई पार्टियों की लिस्‍ट से आम आदमी पार्टी (AAP) का नदारद होना काफी कुछ कहता है। कांग्रेस ने करीब एक दर्जन बीजेपी विरोधी दलों के नेताओं को बुलाया। हालांकि, इसमें आप बाहर रही। जब भारत जोड़ो यात्रा अरविंद केजरीवाल के गढ़ दिल्‍ली में थी तो भी सीएम इसमें शामिल नहीं हुए। यह अपने में बताता है कि विपक्ष में बहुत ज्‍यादा खींचतान है। विपक्ष का नेतृत्‍व करने के लिए अब कांग्रेस या राहुल गांधी के बजाय दूसरे दल और नेता खड़े हो गए हैं। इनमें दो सबसे बड़े नाम अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी हैं। बिखरा विपक्ष पीएम मोदी को चुनौती नहीं पेश कर सकता है। ऐसा मानने वालों की संख्‍या लगातार बढ़ रही है। इंडिया टुडे-सी वोटर का सर्वे भी यही बात कहता है। सर्वे कहता है कि विपक्ष का नेतृत्‍व करने के लिए केजरीवाल और ममता बनर्जी राहुल के मुकाबले ज्‍यादा बेहतर हैं।

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