पंजाब सरकार ने हाल ही में शंभू और खनौरी बॉर्डर पर लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन स्थलों को खाली कराने के लिए कार्रवाई की है। पंजाब पुलिस ने बुलडोज़र की मदद से किसानों द्वारा स्थापित टेंट और अस्थायी ढांचों को हटाया, जिससे ये बॉर्डर 13 महीनों बाद खाली हो गए हैं।
इस कार्रवाई के दौरान लगभग 700 किसानों को हिरासत में लिया गया, जिनमें प्रमुख किसान नेता सरवन सिंह पंढेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल भी शामिल हैं। पुलिस ने इन स्थलों पर इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी थीं।
पंजाब सरकार की इस कार्रवाई के बाद विपक्षी दलों ने आम आदमी पार्टी (AAP) पर निशाना साधा है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि पहले AAP सरकार ने किसानों का समर्थन किया था, लेकिन अब वही सरकार उनके टेंट और कैंपसाइट्स को हटाने के लिए बुलडोज़र का इस्तेमाल कर रही है।
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि केंद्र और पंजाब सरकार ने मिलकर किसानों के साथ विश्वासघात किया है। शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने किसान नेताओं की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इसे अलोकतांत्रिक बताया है।
पंजाब सरकार का कहना है कि इन बॉर्डर्स के लंबे समय से बंद रहने के कारण व्यापार और उद्योग प्रभावित हो रहे थे, जिससे युवाओं के रोजगार पर असर पड़ रहा था। सरकार का दावा है कि बॉर्डर्स को खाली कराने का निर्णय राज्य के आर्थिक हित में लिया गया है।
आगे की स्थिति पर नजर रखते हुए, किसान संगठनों ने अपनी मांगों के लिए संघर्ष जारी रखने की बात कही है। वहीं, सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन सार्वजनिक मार्गों को अवरुद्ध करने को स्वीकार नहीं करेगी।