अतीक अशरफ तो दफन लेकिन कुछ बड़े सवाल जिंदा! पुलिस प्रशासन को देना होगा जवाब! आइए डालते हैं नजर……

शनिवार की रात जब उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल में अतीक और अशरफ को पुलिस मेडिकल चेकअप के लिए लेकर आई थी तो तीन युवक पत्रकार बनकर आए और ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर अतीक और अशरफ की हत्या कर दी. इस हत्याकांड के ठीक बाद तीनों हमलावरों ने सरेंडर कर दिया. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके ले गई. रविवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया और यहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में तीनों भेज दिए गए.

ये उन 24 घंटों की एक ब्रीफिंग है कि शनिवार रात से रविवार के इस समय तक क्या क्या हुआ है. कसारी मसारी कब्रिस्तान में अतीक अशरफ दफन हो चुके हैं, लेकिन जमीन कॉल्विन अस्पताल के पास जिस जगह बुलेट्स के खाली खोखे, अतीक अशरफ के शव और उनके आस पास खून बिखरा पड़ा था, वहीं पर बिखरे पड़े हैं 10 ऐसे सवाल जो अब इस कांड के 24 घंटे बाद और अधिक गहराते जा रहे हैं. इन पर डालते हैं एक नजर

पहला सवाल तीन हमलावर, तीन शहर तो हत्याकांड के लिए साथ कैसे आए?

हत्याकांड के बाद तीनों हमलावरों को सरेंडर के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. इनमें अरुण मौर्या, सनी और लवलेश तिवारी शामिल हैं. अतीक हत्याकांड में शामिल सनी हमीरपुर, अरुण उर्फ कालिया कासगंज और लवलेश तिवारी बांदा जिले का रहने वाला है. सवाल है कि ये तीनों, जब अलग अलग शहर के रहने वाले हैं तो अतीक हत्याकांड के लिए कब मिले और उन्होंने किस तरह इसकी प्लानिंग की.

दूसरा सवाल हत्या के लिए कब की प्लानिंग?

इस मामले में जो FIR दर्ज है, उसके मुताबिक, ‘आरोपियों ने बताया कि वो अतीक और अशरफ को मारने की फिराक में पत्रकार बनकर प्रयागराज आए थे, लेकिन सही समय और मौका नहीं मिल पा रहा था. लेकिन आज मौका मिला तो हमने उसकी हत्या कर दी. हालांकि इसमें भी ये साफ नहीं हुआ है कि क्या तीनों ने ही इस हत्याकांड के लिए प्लानिंग की थी और कब?

तीसरा सवालः कमाना चाहते थे नाम और इतनी कमजोर तैयारी

एफआईआर के मुताबिक तीनों आरोपियों ने प्रदेश में अपना नाम कमाने के लिए इस वारदात को अंजाम दिया था. पुलिस पूछताछ में पता चला है कि तीनों आरोपी माफिया डॉन अतीक अहमद और अशरफ गैंग का सफाया करना चाहते थे ताकि प्रदेश में उनका नाम हो और भविष्य में लाभ हो. FIR के ही अनुसार, आरोपियों ने बताया कि हम लोग पुलिस के घेरे का अनुमान नहीं लगा पाए थे और हत्या करके भाग नहीं पाए, क्योंकि पुलिस की तेज कार्रवाई से हम लोग पकड़े गए. अब सवाल उठता है कि क्या आरोपी इसका भी अनुमान नहीं लगा पाए कि वह अतीक अहमद जैसे बड़े माफिया पर हमला करने वाले हैं? उनका तर्क कहीं से संतुष्ट करने वाला नहीं है. वहीं, FIR में आरोपी, पुलिस द्वारा पकड़े जाने की बात कह रहे हैं, जबकि लाइव टीवी पर सभी ने देखा कि आरोपियों ने खुद सरेंडर कर दिया.

चौथा सवाल कौन है मास्टर माइंड?

FIR में जो भी बातें दर्ज हैं, वह किसी के लिए भी पचा पाना आसान नहीं है. आरोपी प्रसिद्ध होना चाहते थे, लेकिन प्रसिद्धि के लिए कोई ये तरीका अख्तियार क्यों करेगा. समृद्धि पाने के लिए अतीक अहमद को ही निशाना क्यों बनाया? आरोपियों की आड़ में कोई अन्य तो मास्टरमाइंड नहीं?

पांचवां सवाल भाटी का नाम क्यों? क्या कोई दुश्मनी थी?

इस हत्याकांड का एक सिरा अनिश्चित तौर पर सुंदर भाटी नाम के गैंगस्टर से भी जुड़ गया है. इस पर उंगलियां उठने की वजह जिगाना पिस्टल है, जिससे अतीक पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गईं. सूत्रों का कहना है कि अतीक अहमद और अशरफ की हत्या करने वाले सनी सिंह का पश्चिम उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर सुंदर भाटी से कनेक्शन था. हमीरपुर जेल में बंद रहने के दौरान सनी सिंह सुंदर भाटी का करीबी हो गया था और जेल से छूटने के बाद सुंदर भाटी के लिए ही काम करने लगा था. अतीक और अशरफ की हत्या में इस्तेमाल ज़िगाना पिस्टल सुंदर भाटी से मिलने का शक है. अब सवाल है कि अगर सनी का भाटी से संपर्क था तो क्या भाटी और अतीक की कोई दुश्मनी थी?

छठवां सवाल भाटी का संपर्क सनी सिंह से, बाकी दो कैसे बने हमलावर

अब फिर घूमफिर कर वही सवाल आ जाता है, कि तीनों हमलावर मिले कैसे? माना कि सनी का कनेक्शन भाटी से है, लेकिन वह तो अकेला हमीरपुर जेल में था. ऐसे में सवाल उठता है कि लवलेश और अरुण मौर्य कैसे भाटी या फिर सनी के संपर्क में आए? आखिर तीन लोगों की तिकड़ी हत्याकांड के लिए कैसे राजी हो गई? ध्यान देने की बात है कि FIR में इसका जिक्र नहीं मिला है कि तीनों में पहले से कोई आपसी परिचय था.

सातवां सवाल क्या हत्या करने के लिए पैसे मिले?

जब ये छह सवालों के जवाब नहीं मिलते हैं तो सातवां सवाल खुद ब खुद उनके बीच से निकलता है. यह पूछता है कि कहीं ऐसा तो नहीं अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के लिए पैसे दिए गए हों? अगर ऐसा है तो फिर ये सुपारी किसने दी? कौन है इस पूरे हत्याकांड के पीछे असली मास्टरमाइंड? क्या वह कोई सफेदपोश है, जो अतीक अहमद को हमेशा के लिए खामोश करके अपने राज को राज ही रहने देना चाहता था.

आठवां सवाल गुड्डू मुस्लिम पर क्या बोलना चाहता था अशरफ?
शनिवार की रात जब मीडिया ने अतीक अशरफ से असद के जनाजे में जाने को लेकर सवाल पूछा था, तो इसके बाद अशरफ ने बोलना शुरू किया था. उसके आखिरी कुछ शब्द थे कि ‘ मेन बात ये है कि गुड्डू मुस्लिम…’ और इतना कहते ही फायरिंग हो गई, जिसके बाद दोनों मारे गए. अब ये सवाल भी बिना जवाब के रह गया कि आखिर गुड्डडू मुस्लिम पर अशरफ क्या खुलासा करने वाले थे?

नौवां सवाल पुलिस ने रिमांड क्यों नहीं मांगी

इस पूरे मामले में जो सबसे अहम सवाल है, वह यह है कि आखिर पुलिस ने इतने संगीन जुर्म और लाइव हुए हत्याकांड के बावजूद तीनों ही हमलावरों की रिमांड क्यों नहीं मांगी? आरोपियों को न्यायिक हिरासत में क्यों भेजा गया? आखिर पुलिस का इस पूरे मामले में क्या रुख है? ये सवाल बड़ा है.

दसवां सवाल आरोपियों को कैसे मिले महंगे आधुनिक हथियार?

आरोपियों के पास जो हथियार मिले, उन्हें देखते हैं.
1 एक 30 पिस्टल ( 7.62) कंट्रीमेड
2 एक 9 MM पिस्टल गिरसान ,मेड इन टर्की
3 एक 9 MM पिस्टल , जिगाना ,मेड इन टकी
सवाल है कि नौसिखिए से दिखने वाले और लो प्रोफाइल आरोपियों के पास ये आधुनिक हथियार कैसे पहुंचे. अगर सनी का सुंदर भाटी से कनेक्शन मान भी लें तो मेड इन टर्की की गिरसान पिस्टल कैसे हाथ लगी. इन हथियारों की कीमत भी 5 6 लाख से कम नहीं है. तो फिर ये तीनों तक पहुंचे कैसे?

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