कमाल का चुनाव: इस सीट पर पति-पत्नी आमने-सामने आजमाएंगे अपनी किस्मत….

उत्तराखंड चुनाव 2022: देवभूमि में सियासी दंगल का अखाड़ा सज चुका है। इस बार सोमेश्वर विधानसभा सीट खास सुर्खियों में है। क्योंकि इस सियासी अखाड़े में प्रतिद्वंदी कोई नहीं बल्कि पति-पत्नी ही हैं। पति समाजवादी पार्टी से तो पत्नी निर्दलीय चुनाव में उतरी हैं

इतना ही नहीं दोनों जीत को लेकर आश्वस्त हैं। सोमेश्वर विधानसभा सीट पर 8 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमाने के लिए उतरे हैं। लेकिन विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बले गांव निवासी बलवंत आर्य और उनकी पत्नी मधुबाला आर्य एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।

बलवंत आर्य को समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है तो मधुबाला आर्य निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रही हैं। बताते चलें कि बलवंत आर्य और मधुबाला आर्य बीते 25 वर्षों से ज्यादा समय तक बीजेपी में सक्रिय रूप से राजनीति कर चुके हैं। मधुबाला आर्य ने बीजेपी से सोमेश्वर विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी की थी।

लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन कराया। जबकि बलवंत आर्य ने समाजवादी पार्टी के बैनर तले अपना नामांकन किया है। दोनों पति-पत्नियों के चुनाव मैदान में उतरने से क्षेत्र में काफी चर्चा है। अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर विधानसभा सीट (आरक्षित) है।

यहां पर बीजेपी की ओर से कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या प्रत्याशी हैं। जबकि कांग्रेस की ओर से राजेंद्र बाराकोटी प्रत्याशी हैं। अब यहां पर पति-पत्नी ने भी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में ताल ठोक दी है। दोनों ने अपना प्रचार भी शुरू कर दिया है।

बीजेपी ने नहीं दिया टिकट तो मैदान में उतरे पति-पत्नीः
समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी बलवंत आर्य ने बताया कि वो 25 साल से बीजेपी में सक्रिय थे। बीजेपी ने उनकी उपेक्षा की है इसलिए बीजेपी छोड़ समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले 5 वर्षों से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। मधुबाला आर्य ने कहा कि उन्होंने इस बार बीजेपी से दावेदारी की थी।

उन्होंने भाजपा मंडल अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष तथा प्रदेश अध्यक्ष को अपनी दावेदारी का आवेदन भेजा था। लेकिन उनके आवेदन पर कोई विचार नहीं किया गया तथा भाजपा संगठन ने सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र से कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य को एकमात्र दावेदार घोषित कर दिया। उनके आवेदन को दरकिनार कर पैनल में उनका नाम तक नहीं भेजकर उनकी घोर उपेक्षा की है।

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