खतरे की घंटी: तेजी से पिघल रहे हिमालय के ग्लेशियर! ISRO ने किया ये खुलासा…..

बढ़ते तापमान के कारण हिमालय में बर्फ तेजी से पिघल रही है और ग्लेशियर से बनी झीलों के बढ़ने के साथ इनके आकार में भी वृद्धि हो रही है। यदि इसी तरह यह प्रक्रिया लगातार चलती रही तो विनाशकारी बाढ़ आने में देर नहीं लगेगी। इस बात का खुलासा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी नई रिपोर्ट में किया है।

इसरो के मुताबिक, हिमालय में पहचानी गई 27 प्रतिशत से अधिक ग्लेशियर से बनी झीलें 1984 के बाद से इनके आकार में भारी बढ़ोतरी हो रही है, उनमें से 130 झीलें भारत में हैं।

इसरो की आधिकारिक वेबसाइट में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है, 1984 से 2023 तक भारतीय हिमालयी नदी घाटियों के जलग्रहण क्षेत्रों को कवर करने वाली लंबी अवधि के उपग्रह चित्रों से पता चलता है कि ग्लेशियर से बनी झीलें भारी बदलाव के दौर से गुजर रही हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, 2016-17 के दौरान 10 हेक्टेयर से बड़ी 2,431 झीलों की पहचान की गई थी, जिनमें से 676 ग्लेशियर से बनी झीलें 1984 के बाद से इनके आकार में वृद्धि हुई है।

इसरो के मुताबिक, 676 झीलों में से 601 का आकार दोगुने से अधिक हो गया है, जबकि 10 झीलें 1.5 से दो गुना और 65 झीलें 1.5 गुना बढ़ी हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 676 झीलों में से 130 भारत में स्थित हैं, जिनमें से 65 सिंधु नदी घाटी में, सात गंगा नदी घाटी में और 58 ब्रह्मपुत्र नदी घाटी में स्थित हैं। ऊंचाई आधारित विश्लेषण से पता चला है कि 314 झीलें 4,000 से 5,000 मीटर की सीमा में और 296 झीलें 5,000 मीटर से ऊपर की ऊंचाई पर स्थित हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लेशियर से बनी झीलों को उनकी निर्माण प्रक्रिया के आधार पर चार व्यापक श्रेणियों में बांटा जाता है – हिमोढ़-बांध (मोराइन द्वारा रोका गया पानी), बर्फ-बांध (बर्फ द्वारा रोका गया पानी), कटाव (कटाव द्वारा निर्मित अवसादों में रोका गया पानी) और अन्य ग्लेशियर से बनी झीलें।

यहां बताते चलें कि ग्लेशिअर द्वारा बहा कर लाया हुआ मलबा जिसे मोराइन कहा जाता है।

आकार में बढ़ोतरी वाली 676 झीलों में से, अधिकांश हिमोढ़-बांध (307) हैं, इसके बाद कटाव (265), अन्य (96) और बर्फ-बांध (आठ) ग्लेशियर से बनी झीलें हैं।

इसरो ने अपनी रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि उसने हिमाचल प्रदेश में 4,068 मीटर की ऊंचाई पर स्थित घेपांग घाट ग्लेशियल झील (सिंधु बेसिन) में लंबी अवधि में हुए बदलावों पर प्रकाश डाला, जिसमें 1989 से 2022 के बीच 36.49 हेक्टेयर से 101.30 हेक्टेयर तक आकार में 178 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई गई। वृद्धि की दर लगभग 1.96 हेक्टेयर प्रति वर्ष है।

Share
Now