आखिर बिक ही गई एयर इंडिया!! जानिए टाटा की होने के बाद क्या बदलेगा…

आइए जानते हैं सरकार को एयर इंडिया को क्यों बेचना पड़ा, इसे एयर इंडिया की घर वापसी क्यों कहा जा रहा है, एयर इंडिया पर बकाया कर्ज का क्या होगा, एयर इंडिया के पास कुल कितनी प्रॉपर्टी हैं, डील में और क्या शामिल है और कर्मचारियों का क्या होगा.

कई सालों से सरकार की एयर इंडिया के बिक्री की कोशिश आखिर आज पूरी हो गई। एयर इंडिया को आज नया मालिक मिला। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने बताया कि विमान कंपनी के लिए टाटा संस ने सबसे अधिक बोली लगाई। टाटा संस ने 18 हजार करोड़ रुपये, जबकि स्पाइसजेट के अजय सिंह ने 15 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। इसी के साथ 68 साल बाद एयर इंडिया की ‘घर वापसी’ हुई है। कंपनी ने Talace Pvt Ltd के जरिए बोली लगाई थी। 

सरकार को एयर इंडिया को क्यों बेचना पड़ा?

एयर इंडिया भारी घाटे में चल रही है। 2018-19 में कंपनी को 4 हजार 424 करोड़ रुपये का ऑपरेशनल घाटा हुआ था। 2017-18 में कंपनी को 1245 करोड़ रुपये का ऑपरेशनल घाटा हुआ। ऐसे में लगातार हो रहे घाटे के चलते कंपनी पर भारी कर्ज हो चुका है। इसी के मद्देनजर इसे बेचनी की जरूरत पड़ी। इससे पहले भी सरकार ने इसे बेचने की कोशिश की थी।

इसे एयर इंडिया की घर वापसी क्यों कहा जा रहा है?

विमानन कंपनी की 68 साल बाद ‘घर वापसी’ हुई है। टाटा समूह ने अक्तूबर 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से एयर इंडिया की शुरुआत की थी। वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद एक राष्ट्रीय एयरलाइंस की जरूरत महसूस हुई। ऐसे में भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर लिया। इसके बाद 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पास किया और फिर टाटा समूह से इस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली। फिर इसे एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बना दिया गया। इसी के साथ 68 सालों के बाद एयर इंडिया की टाटा ग्रुप में घर वापसी हो गई है।

कर्मचारियों का क्या होगा?

अगस्त 2021 तक एयर इंडिया के पास 16,000 से अधिक कर्मचारी थे। इनमें से 9617 स्थायी कर्मचारी हैं, जिन्हें ग्रैच्युटी के साथ अन्य लाभ मिलता है। एयर इंडिया की बिक्री के साथ टाटा संस को एयर इंडिया के कर्मचारियों की ग्रेच्युटी आदि की जिम्मेदारी भी ट्रांसफर हो गई है। पहले एयर इंडिया के स्टाफ को आशंका थी कि एयर इंडिया का निजीकरण किए जाने के बाद उनके पीएफ में जमा रकम निजी कंपनी के ट्रस्ट में चली जाएगी, जिससे उन्हें नुकसान हो सकता है। लेकिन सरकार ने भरोसा दिलाया था कि एयर इंडिया के मौजूदा स्टाफ के लिए पीएफ की रकम ट्रांसफर करने का टेंपलेट वही होगा जो अन्य पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के निजी करण में अपनाया जाता है। टाटा संस को अगले एक साल तक सभी स्टाफ को रखना पड़ेगा। अगले साल से अगर उन्हें नहीं रखा जाना है तो टाटा संस उनके लिए वीआरएस ऑफर कर सकती

Share
Now