अहमदाबाद के दानलीमडा इलाके में प्रशासन की लापरवाही देखने को मिली। यहां बस स्टेशन पर कोरोना वायरस से पीड़ित एक व्यक्ति की लावारिस लाश सड़क पर पड़ी मिली। मृतक के परिवार वालों ने इस घटना के लिए अस्पताल के कर्मचारियों और पुलिस को दोषी ठहराया है।
इस मामले में एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है, “मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने पूर्व प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) जेपी गुप्ता को जांच का आदेश दिया है और 24 घंटे के भीतर एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।”
मृतक का नाम छगन मकवाना है। 67 साल के मकवाना को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद 13 मई को टेस्ट में उन्हें कोरोना पॉजिटिव पाया गया। प्रशासन ने इसके बाद उनके परिवार को क्वारंटीन में भेज दिया था।
मकवाना के भाई गोविंद ने कहा, “सुरक्षा कर्मचारियों को उनका शव बीआरटीएस बस स्टेशन पर लावारिस हालत में पड़ा मिला, जिसके बाद पुलिस को इसकी सूचना दी गई। इसके बाद पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए दूसरे अस्पताल ले गई।” उन्होंने कहा कि परिवार को मृतक की जानकारी पोस्टमार्टम के बाद दी गई, वो भी तब जब मृतक की जेब में एक कागज मिला जिसमें उनके लड़के का नंबर लिखा था।
उन्होंने कहा, “हम क्वारंटीन में थे, लेकिन अस्पताल के अधिकारियों ने हमें इसके बारे में बताना भी सही नहीं समझा और उनके शव को एक बस स्टेशन पर फेंक दिया। उन्होंने आगे कहा कि पुलिस ने भी पोस्टमार्टम के लिए उनके शव को ले जाने से पहले कोई भी कानूनी जांच करने की कोशिश नहीं की।”