उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मंत्रिमंडल के गठन के बाद… सियासी गलियारों में चर्चा…..

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मंत्रिमंडल के गठन के बाद अब  सियासी गलियारों में चर्चाओं का फोकस विभाग बंटवारे पर है। मंत्रियों को मिलने वाला पोर्टफोलियों उनका वास्तविक सियासी कद तय करेगा। मंत्रियों के चार साल का प्रदर्शन के आधार पर उनके विभाग तय होने की संभावना है। ऐसे में कुछ मंत्रियों के विभागों में कटौती भी हो सकती है तो कुछ का वजन बढ़ना भी तय है।  विभागीय बंटवारे को लेकर सबसे ज्यादा मशक्कत बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल, गणेश जोशी और स्वामी यतीश्वरानंद पर है।

प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़कर कैबिनेट में आए बंशीधर भाजपा की पूर्व की सरकारों में वन, कृषि, उद्यान, पशुपालन जैसे विभाग देख चुके हैं। तो, बिशन सिंह चुफाल को सहकारिता का विशेषज्ञ माना जाता है। वर्ष 2007 के मंत्री कार्यकाल में सहकारिता विभाग उन्हीं के पास था। दूसरी तरफ, मंत्रिमंडल में दोबारा शामिल हुए मंत्रियों में भी विभागीय बंटवारा असमान था। सुबोध उनियाल पसंद न होने के बावजूद कृषि-उद्यान विभाग को देख रहे थे। जबकि हरक के पास भी वन-पर्यावरण, श्रम विभाग ही बड़े विभाग रहे हैं।  उधर, सीएम तीरथ रावत भी अपने पास ज्यादा विभाग रखने के मूड में नहीं हैं। 

बता दें कि राजभवन में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 11 विधायकों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। त्रिवेंद्र सरकार में खाली चल रहे कैबिनेट मंत्रियों के तीन रिक्त पदों को भी इस बार भरा गया है। मंत्रिमंडल में त्रिवेंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्रियों को ही दोबारा जगह मिली है। मंत्रिमंडल विस्तार में सात पुराने चेहरे हैं जबकि चार विधायकों को पहली बार कैबिनेट में शामिल किया गया है। 11 मंत्रियों में आठ को कैबिनेट मंत्री जबकि तीन विधायकों को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी दी गई है। 

उत्तराखंड में यदि महिला विधायकों की बात की जाए तो 2017 के चुनाव में भाजपा से चार महिला विधायक रेखा आर्य, ऋतु खंडूड़ी, मीना गंगोला, मुन्नी देवी जीतकर आई थीं। पिथौरागढ़ उपचुनाव में चंद्रा पंत भाजपा से राज्य की 5वीं महिला विधायक बनीं। पांच में से त्रिवेंद्र कैबिनेट में रेखा आर्य को राज्यमंत्री के रूप में जगह मिली थी। अब, महिला विधायकों को भी उम्मीद थीं कि कम से कम दो सीटों पर प्रतिनिधित्व मिलेगा। लेकिन तीरथ कैबिनेट में  महिला विधायकों के हाथ निराशा ही लगी।

Share
Now