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PFI पर बैन के बाद आगे क्या, सरकार क्या करेगी, गिरफ्तार सदस्यों का क्या होगा? जानें….

केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके 8 सहयोगी संगठनों को बैन कर दिया है. गृह मंत्रालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. अब गृह मंत्रालय को प्रतिबंध की पुष्टि के लिए UAPA ट्रिब्यूनल जाना होगा. वहीं, गिरफ्तार सदस्यों के खिलाफ कानूनी एजेंसियों की जांच जारी रहेगी.

छापेमारी और गिरफ्तारियों के बाद केंद्र सरकार ने अब पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI और उससे जुड़े 8 संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. ये प्रतिबंध अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेन्शन एक्ट (UAPA) के तहत लगाया गया है. 

इस बैन के बाद कानूनी एजेंसियों का रोल क्या रहेगा? इस बारे में पूर्व गृह सचिव गोपाल कृष्णा पिल्लई ने आजतक को बताया कि संगठन के सदस्यों को गिरफ्तार किया जाएगा, उसके ऑफिसेस पूरी तरह बंद कर दिए जाएंगे और बैंक अकाउंट्स को तुरंत फ्रीज कर दिया जाएगा.

उन्होंने ये भी बताया कि संगठन के सदस्यों के यात्रा करने पर भी रोक लग जाएगी. कानूनी एजेंसियां अपनी जांच जारी रखेंगी.

गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक, PFI के अलावा उसके 8 सहयोगी संगठन- रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कन्फिडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल वुमन फ्रंट (NWF), जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल पर भी बैन लगा है.

अब आगे क्या होगा?

  • एक बार गृह मंत्रालय जब प्रतिबंध का नोटिफिकेशन जारी कर देता है, तो उसे प्रतिबंध की पुष्टि के लिए UAPA ट्रिब्यूनल से संपर्क करना पड़ता है. 
  • केंद्रीय गृह मंत्रालय के पूर्व सीनियर अफसर आरवीएस मणि ने आजतक को बताया कि गृह मंत्रालय अब दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को ट्रिब्यूनल के जज की नियुक्ति करने के लिए चिट्ठी लिखेगा.
  • उन्होंने बताया कि जज की नियुक्ति के बाद मंत्रालय इसका नोटिफिकेशन ट्रिब्यूनल को भेजेगा. इसके बाद ट्रिब्यूनल PFI और उससे जुड़े संगठनों के गिरफ्तार सदस्यों को बुलाकर पूछेगा कि उनके संगठन को गैरकानूनी घोषित क्यों न किया जाए.
  • अगर PFI इसका विरोध करता है तो जज इस मामले की जांच करेंगे. वो लोगों की राय भी ले सकते हैं. अगर जज को पर्याप्त सबूत मिलते हैं तो 5 साल का प्रतिबंध कन्फर्म हो जाएगा. उन्होंने बताया कि ये पूरी प्रक्रिया 6 महीने के भीतर पूरी करनी होगी.
  • कुल मिलाकर, अगर ट्रिब्यूनल को लगता है कि संगठन को गैरकानूनी घोषित करने के पर्याप्त सबूत हैं तो प्रतिबंध जारी रहेगा, लेकिन सबूत नहीं मिलते हैं तो प्रतिबंध हटा लिया जाएगा.

बैन लगना और आतंकी संगठन घोषित होना, दोनों अलग-अलग

  • आरवीएस मणि ने बताया कि सभी प्रतिबंधित संगठनों को आतंकी संगठन घोषित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि UAPA के तहत प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की संख्या 42 है, जबकि 13 प्रतिबंधित संगठन हैं. प्रतिबंधित संगठनों की लिस्ट में सिमी और लिट्टे जैसे संगठन भी शामिल हैं.
  • गृह मंत्रालय ने PFI पर बैन लगाया है. उसे अभी आतंकी संगठन घोषित नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि ये सरकार पर निर्भर करता है कि वो किसी प्रतिबंधित संगठन को आतंकी संगठन घोषित करती हैं या नहीं.
  • मणि ने बताया कि UAPA के तहत केंद्र सरकार आतंकी गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले या अंजाम देने वाले, आतंकी साजिश रचने वाले या आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले किसी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकती है.
  • उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में लिखा है कि PFI के वैश्विक आतंकी संगठनों से कनेक्शन हैं, उसके सदस्य ने ISIS में भी रहे हैं और सीरिया, इराक और अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों को भी अंजाम दिया है. इसके अलावा नोटिफिकेशन में ये भी लिखा है कि उसके सदस्यों के जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) से भी संपर्क रहे हैं. ऐसी स्थिति में सरकार PFI को आतंकी संगठन भी घोषित कर सकती है.

PFI के गिरफ्तार सदस्यों का क्या होगा?

  • यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने बताया कि भले ही प्रतिबंध की पुष्टि के लिए अभी ट्रिब्यूनल के पास जाना होगा, लेकिन कानूनी एजेंसियां अपनी कार्रवाई जारी रखेंगी. इसमें कोई बदलाव नहीं होगा.
  • उन्होंने कहा कि PFI के गिरफ्तार सदस्यों को UAPA और IPC के तहत आरोपी बनाया जाएगा. उनपर मुकदमा चलेगा. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार सदस्यों को 6 महीने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.
  • उन्होंने बताया कि PFI और उसके सहयोगी संगठनों से जुड़े लोग देश में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. कुछ सदस्य हिंसा से जुड़े रहे हैं, कुछ फंड जुटाने में रहे हैं, कुछ सरकार के खिलाफ साजिश रचने में लगे रहे तो कुछ अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड़े. ऐसे में इन सदस्यों पर UAPA, IPC और PMLA के तहत आरोप लगाए जाएंगे.
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