जमीन न बंटे, इसलिए तिब्बत के कुछ समुदायों में परिवार के सभी भाइयों की शादी एक ही युवती से हो जाती है. वैसे शादी की सारी रस्में बड़े भाई के साथ होती हैं, लेकिन घर पहुंचने पर युवती को साझा पत्नी माना जाता है. साठ के दशक में चीन का दखल बढ़ने के बाद इसपर कानूनी रोक तो लगी, लेकिन परंपरा अब भी चल रही है
महाराष्ट्र के सोलापुर में जुड़वा बहनों से शादी करने वाले युवक का मामला चर्चा में है. हिंदू मैरिज एक्ट में एक पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी नहीं की जा सकती, इसलिए युवक पर केस भी दर्ज हो चुका. हालांकि बार-बार ये बात भी उठ रही है कि जब शादी करने वाली युवतियों को एतराज नहीं था, तो केस बनना नहीं चाहिए. ये तो हुआ एक पति की कई पत्नियों वाला मामला, लेकिन इसका उलट भी होता है. ऐसे भी समुदाय हैं, जहां बहुपतित्व को बुरा नहीं माना जाता. यहां एक पत्नी कई पतियों के साथ एक ही घर में रहती है.
चीन में मच चुका है हंगामा
लगभग दो साल पहले चीन की फुडान यूनिवर्सिटी के इकनॉमिस्ट ये केंग एन्जी के एक बयान ने तहलका मचा दिया था. उन्होंने अपने यहां बहुपतित्व की वकालत करते हुए कहा कि यही अकेला रास्ता है, जिससे सभी चीनी युवकों की शादी हो सकेगी. बता दें कि सत्तर के दशक में वन-चाइल्ड-पॉलिसी लाने के बाद से चीन में लैंगिक भेदभाव बढ़ा. पेरेंट्स लड़कों की चाह में लड़कियों को मारने लगे.
चीन में लैंगिक अनुपात बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है, इससे लड़कों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रहीं. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
इच्छा के बावजूद शादी नहीं हो पा रही
अब इतने दशक बाद इस नियम को हटाया तो गया, लेकिन काफी देर हो चुकी है. चीन में अब ज्यादातर आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है. साथ ही वहां सेक्स रेश्यो भी गड़बड़ा चुका. लड़कियां कम हैं, लड़के ज्यादा. ऐसे में बहुत से चीनी युवक चाहकर भी अपने लिए पत्नी नहीं खोज पा रहे. इन्हीं मुश्किलों को देखते हुए वहां के अर्थशास्त्री ने बहुपतित्व की बात की, जिसमें तिब्बत का भी हवाला दिया.