आज हम एक ऐसे मामले पर चर्चा कर रहे हैं, जो न केवल समाज के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। यह मामला केवल एक टीवी डिबेट की घटना नहीं है, बल्कि यह हमारी मानसिकता, हमारे आदर्शों और सामाजिक संरचनाओं को चुनौती देता है।” न्यूज नेशन के डिबेट रूम में जो हुआ, वह एक चेतावनी है कि हमें किन बातों से बचना चाहिए। एक प्रसिद्ध आईआईटी बाबा के द्वारा बदतमीजी की शुरुआत की गई। वह पहले मांस और मदिरा के सेवन पर सहमत हुए, फिर अचानक महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई। क्या यह पवित्रता और धर्म का सम्मान है या केवल एक छलावा?”जब कुछ बाबाओं ने शास्त्रार्थ करने की चुनौती दी, तो वह बाबा भड़क गए।
यहाँ से बात अजीब मोड़ पर चली गई। एक धार्मिक व्यक्ति जो शास्त्रार्थ के माध्यम से ज्ञान और समझ बढ़ाने का दंभ भरता है, वह चाय फेंकने जैसे अनौचित्यपूर्ण व्यवहार में क्यों उतर आया?”यह कोई बाबा नहीं, बल्कि एक नशेड़ी व्यक्ति है। हम पहले ही कह चुके थे कि इस प्रकार के लोग समाज में गलत संदेश भेजते हैं। और आज इसने खुद सिद्ध कर दिया कि वह धर्म और आध्यात्मिकता के नाम पर केवल व्यक्तिगत लाभ और शोषण का खेल खेल रहा है।”इस घटना से हमें यह सीखने की जरूरत है कि हम किसे अपना आदर्श मानते हैं और कौन वास्तव में समाज का नेता बनने का हकदार है। यह केवल एक व्यक्ति की गलती नहीं, बल्कि हमारे समाज की एक बड़ी समस्या का दर्पण है, जो हमें सही और गलत की पहचान में गुमराह कर सकती है।””समाज को इस प्रकार की बुराईयों से बचने की जरूरत है। हमें चाहिए कि हम अपनी आस्था और विश्वास को सही जगह पर लगाएं और न केवल बाहरी रूपों, बल्कि आंतरिक मूल्यों की भी गहरी समझ विकसित करें।