यहां आज भी AC लगाने पर पाबंदी है..
यहां एसी पर्यावरण के लिए घातक माना जाता है,
शायद आपको यकीन न हो, लेकिन ये सच है. यहां आज भी AC लगाने पर पाबंदी है. ऐसा नहीं है कि ये लोग AC (एयर कंडीशनर) नहीं खरीद सकते. दरअसल इन लोगों को कभी ऐसी जरूरत ही नहीं पड़ी. क्योंकि यहां का तापमान शहर की अपेक्षा कम है,जहां इन दिनों कुछ जगहों को छोड़कर पूरे भारत के कई शहरों में गर्मी ने अपने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, आगरा भी उस लिस्ट में शामिल है. यहां 124 सालों का रिकॉर्ड टूटा है. 124 सालों में दूसरी बार आगरा का तापमान 49 डिग्री के पार जा पहुंचा है, आगरा उबल रहा है .गर्मी से लोग परेशान हैं. गर्मी से बचने के लोग उपाय खोज रहे हैं. AC (air conditioner) की दुकानों पर लोगों की भीड़ लगी हुई है. लेकिन इन सभी के उलट आगरा दयालबाग की एक दर्जन कॉलोनियों में आज भी AC नहीं है,पेड़ लगाने से हो गया तापमान कम,क्योंकि सच्चा मित्र की मित्रता निस्वार्थ होती है। ऐसी ही पेड़-पौधे होते हैं। वे निस्वार्थ रूप से हमको ऑक्सीजन, फल, लकड़ी देते हैं। इन्हें बचाए रखने का हम लोगों का परम कर्तव्य है।
यहां पर 50 से 90 साल पुरानी लगभग एक दर्जन कालोनियां है…
आपको शायद यकीन न हो, लेकिन ये सच है. यहां आज भी AC लगाने पर पाबंदी है. ऐसा नहीं है कि ये लोग AC (एयर कंडीशनर) नहीं खरीद सकते. दरअसल इन लोगों को कभी ऐसी की जरूरत ही नहीं पड़ी. क्योंकि यहां का तापमान शहर की अपेक्षा कम है. इन कॉलोनी में आईएएस, आईपीएस और कई सारे जज भी रहते हैं. जो गर्मियों में सिर्फ कूलर और पंखे से कम चलाते हैं.
आगरा सिटी के बीचों-बीच में दयालबाग स्थित है. यहां पर 50 से 90 साल पुरानी लगभग एक दर्जन कालोनियां है. शहर की अपेक्षा इन कॉलोनी के तापमान में कमी देखने को मिलती है, इसके पीछे की वजह यहां का शानदार इको सिस्टम और हरियाली युक्त माहौल,यहां हर घर के आगे पेड़ लगे हैं. साथ ही घरों की बनावट ऐसी है कि वेंटिलेशन अधिक होने की वजह से हवा और नमी रहती है,घरों में तापमान भी बेहद कम रहता है,आसपास की कॉलोनी में अत्यधिक पेड़ लगे हुए हैं, किसी भी घर की छत पर आपको एयर कंडीशनर लटका हुआ नहीं दिखाई देगा. यह कॉलोनी स्वामी नगर, दयाल नगर, प्रेम नगर ,विद्युत नगर, श्वेत नगर, कार्यवीर नगर, राधा नगर, सरन नगर ,मेहर बाग और DEI कॉलोनी है. इन सभी कॉलोनी में 1500 से ज्यादा परिवार रहते हैं. इसमे से किसी के घर में एयर कंडीशनर नहीं लगा है. सिर्फ पंखा और कूलर से काम चलता है.
इनका संकल्प है- ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकना है। ‘सादा जीवन-उच्च विचार’ के कोट को फॉलो करना है…
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन्हें गर्मी नहीं लगती? जवाब है- नहीं। इसके पीछे की वजह इन कॉलोनियों की शानदार पहल है। यहां 1500 परिवार रह रहे हैं, जो टेंशन फ्री हैं। इनका संकल्प है- ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकना है। ‘सादा जीवन-उच्च विचार’ के कोट को फॉलो करना है,यहां घरों की बनावट भी अलग दिखाई दी। मकान ज्यादा हाईटेक नहीं हैं। हां, घरों की छत ऊंची है। ऊपर वेंटिलेशन सिस्टम बना है। जानकार बताते हैं- पुराने समय में ऐसी बनावट इसलिए होती थी कि गर्म हवा ऊपर उठे और कमरे के निचले हिस्से को ठंडा रखे। कॉलोनी के लोगों ने बताया- हमने कभी AC नहीं लगवाया, न लगाना है। इसके बाद हम अन्य कॉलोनियों में भी गए,दयाल नगर के रहने वाले एडवोकेट CM सिंह बताते हैं, ‘हमारे घर इसलिए ठंडा हैं क्योंकि हमने पेड़ लगाए air conditioner नहीं. air conditioner परमानेंट सॉल्यूशन नहीं है. एक पेड़ कई air conditioner जितनी ठंडक देता है .हमारा घर चारों तरफ से पेड़ों से घिरा हुआ है. धूप कम आती है और अंदर के जो कमरे हैं उनका तापमान भी बेहद कम रहता है. सिर्फ कूलर या पंखे में ही काम चल जाता है. लोगों को चाहिए कि वह air conditioner छोड़कर पेड़ लगाए.
बिजली की डिमांड कम होगी, तो विद्युत उत्पादन के लिए कम कोयले का प्रयोग होगा..
दयालबाग है इको फ्रेंडली यहां हर चीज है ऑर्गेनिक
राधा नगर के गुरमौज चावड़ा ने बताया कि उनकी कॉलोनी में air conditioner लगाने की इजाजत नहीं है. ऐसा नहीं है कि लोग air conditioner खरीद नहीं सकते. यहां के रहने वाले लोगों को इसकी कभी जरूरत महसूस ही नहीं हुई. क्योंकि पेड़ों की वजह से तापमान बेहद कम है. दयालबाग को इको फ्रेंडली बनाने की यह पहल है. पर्यावरण बचाने में हम सभी का योगदान होना चाहिए .बढ़ता तापमान हम सब के लिए खतरा है. इसके लिए दयालबाग के लोगों ने सालों पहले से तैयारी शुरू कर दी थी,एसी और वाहनों के धुएं से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित होती हैं, जो पृथ्वी का तापमान बढ़ाने का काम करती हैं। AC का प्रयोग न करना दो तरीकों से फायदेमंद है। एक तो इससे ग्रीन हाउस गैस नहीं बनती, दूसरा बिजली की खपत भी कम होती है। खपत कम होने से भी बिजली की डिमांड कम होगी, तो विद्युत उत्पादन के लिए कम कोयले का प्रयोग होगा,इसका कारण है, दयालबाग में शहर की तुलना में ज्यादा हरियाली है। हर कॉलोनी में घरों के सामने पेड़ लगे हैं। यहां पर AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) भी कम रहता है।
रिपोर्ट:- अमित कुमार सिन्हा