वीवीपैट से हर वोट के सत्यापन की मांग वाली अर्जियों पर EC ने दिया स्पष्टीकरण,EVM में माइक्रो कंट्रोलर वन टाइम…..

चुनावी प्रणाली में मतदाताओं की संतुष्टि और विश्वास के महत्व को सर्वोपरि मानते हुए शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं से कहा था कि हर बात पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए। एक वोट वेरिफिकेशन सिस्टम है, जिससे पता चलता है कि वोट सही तरीके से गया है या नहीं, बुधवार सुबह जब सुनवाई शुरू हुई तो अदालत ने चुनाव आयोग से कुछ सवालों पर स्पष्टीकरण मांगा था। साथ ही उसके अधिकारी को दोपहर दो बजे अदालत में पेश होने और कुछ सवालों के जवाब देने के लिए कहा था।
बता दें, इससे पहले जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने 18 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था। चुनावी प्रणाली में मतदाताओं की संतुष्टि और विश्वास के महत्व को सर्वोपरि मानते हुए शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं से कहा था कि हर बात पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ ईवीएम का उपयोग करके डाले गए सभी वोटों के सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। उम्मीद जताई जा रही थी कि अदालत आज अपना फैसला सुना देगी। हालांकि, चुनाव आयोग के अधिकारी से कुछ सवालों पर स्पष्टीकरण मांगने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। चुनाव आयोग: तीनों युनिट CU, BU, वीवीपैट के अपने माइक्रो कंट्रोलर होते हैं। इन्हीं में लगे होते हैं। इनमें वन-टाइम प्रोग्राम होता है।

चुनाव आयोग: सभी माइक्रो कंट्रोलर वन टाइम प्रोग्राम होते हैं। बनाते समय ही ऐसी व्यवस्था की जाती है कि इन्हें बदला नहीं जा सकता है।
चुनाव आयोग: सिंबल लोडिंग यूनिट के बारे में आपने सवाल किया था। हमारे पास 1400 ऐसी मशीनें हैं और भेल के पास 3400 मशीनें हैं।

याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि दो सरकारी कंपनियों भारत इलेक्ट्रोनिक लिमिटेड और इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के निदेशक भाजपा से जुड़े हुए हैं। एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि 2019 के आम चुनाव के बाद एक संसदीय समिति ने ईवीएम में गड़बड़ी पाई थी, लेकिन चुनाव आयोग ने अभी तक उसे लेकर कोई जवाब नहीं दिया है। दो घंटे तक चली सुनवाई के दौरान कई याचिकाकर्ताओं ने अपने विचार अदालत के सामने रखे थे। रिपोर्ट:-अमित कुमार सिन्हा

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