विदेशी विश्वविद्यालय खोलने के, PM के फैसले का देश भर में विरोध! जाने क्या है नियम और विरोध का कारण…..

पिछले दिनों विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी (UGC) द्वारा भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए बनाये नए मसौदा नियमों का विरोध शुरू हो गया है। इन नियमों के लागू हो जाने के बाद, विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसर स्थापित करने और भारतीय छात्रों और अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने की अनुमति होगी। यूजीसी ने फिलहाल इन नियमों पर हितधारकों से राय मांगी है।

मसौदा नियमों के मुताबिक, भारत में परिसर स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को अपनी स्वयं की प्रवेश प्रक्रिया तैयार करने की स्वतंत्रता होगी। हालांकि, इन विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन कक्षाओं की अनुमति नहीं मिलेगी।

यूजीसी द्वारा तैयार मसौदा नियमों का विरोध शुरू हो गया है। भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए बने मसौदा नियम क्या हैं? इन नियमों का विरोध क्यों हो रहा है? भारत में परिसर स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए शर्तें क्या होंगी? इनमें एडमिशन और फीस कैसे तय होगी? फैकल्टी को कौन भर्ती करेगा? विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए कौन से नियमों का पालन करना जरूरी होगा? विश्वविद्यालय के बीच में बंद होने पर छात्रों का क्या होगा? नियमों के उल्लंघन करने पर कार्रवाई कौन करेगा?

भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए बने मसौदा नियम क्या हैं?
पिछले दिनों विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी (UGC) ने भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए नए मसौदा नियमों की घोषणा कर दी है। इन नियमों के मुताबिक, भारत में शाखा खोलने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को यूजीसी के नियमों के तहत अनुमति दी जाएगी। उन्हें भारतीय विश्वविद्यालयों की ही भांति विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानदडों का पालन करना होगा। विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में ऑफलाइन कक्षाओं का ही संचालन करना होगा। इसके साथ ही भारत में परिसर स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को अपनी स्वयं की प्रवेश प्रक्रिया तैयार करने की स्वतंत्रता होगी।

इन नियमों का विरोध क्यों हो रहा है?
मसौदा नियमों की घोषणा के साथ ही इनका विरोध भी शुरू हो गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने यूजीसी के हालिया नियमों पर कड़ा ऐतराज जताया है। संघ ने कहा कि यूजीसी का यह कदम भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा है। विदेशी विश्वविद्यालय ऐसी शिक्षा प्रदान करेंगे जो भारत की बहुसंख्यक आबादी के लिए अवहनीय हो जाएगी जो भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए खतरा है।
वहीं, एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (एएडीटीए) ने एक बयान के में कहा कि यूजीसी ने छात्रों के बजाय कोचिंग संस्थानों के लाभ के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। सामाजिक न्याय की चिंताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है।
डेमोक्रेटिक टीचर्स फेडरेशन (DTF) ने दावा किया कि इस कदम का विरोध किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसी किसी भी नीति का अपरिहार्य अगला कदम उच्च शिक्षा में घोर लाभ कमाने की अनुमति देना होगा।

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