एक अधिकारी मीटिंग के दौरान हमने अपने चैनल के माध्यम से, प्रश्नों की लगाई झड़ी, जिलाधिकारी अंशुल कुमार (बांका) से किए सवाल, आखिर बांका में बेरोजगारी का जिम्मेदार कौन? 1. बांका के सिरामिक मिल सामुखिया मोर का कार्य अभी तक क्यों नहीं हो पा रहा है, जबकि शाहनवाज हुसैन माननीय उद्योग मंत्री (बिहार सरकार ) इस संबंध में उनका दौरा भी हुआ था, ऐसे में सवाल उठता है? यहां के जनप्रतिनिधि लापता है, आजकल बेरोजगारी चरम पर पहुंची है। इसका नुकसान आज बांका का युवा उठा रहे है। 2. बांका करहारिया वार्ड नंबर 11 के एक ही डीलर को अतिरिक्त दो से अधिक भार क्यों, यह मामला जन वितरण प्रणाली (PDS) का है! 3. करहारिया निवासी शंकर घोष के द्वारा आवेदन और शिकायत एवं जन समर्थन हस्ताक्षर युक्त के बावजूद भी श्री घोष को अभी तक जन वितरण प्रणाली (PDS) का कार्यभार क्यों नहीं सौंपा जा रहा है, जिससे उनकी आय के साथ-साथ बेरोजगारी भी दूर की जा सकती है. 5. नगर परिषद बांका और अन्य विभाग में लगातार आरटीआई कानून का हो रहा उल्लंघन? आखिर इस पर संज्ञान कब तक, कहीं यह भ्रष्टाचार तो नहीं? 6. वार्ड नंबर:-13 के बड़े नाला जो कई दशकों से उसका कार्य अधर में लटका हुआ है, आखिर उसका पक्की करण कब तक, जिससे लगातार किसानों को, सिंचाई में हो रही कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही शहर का सौंदर्यीकरण कब तक आखिर यह किसकी जिम्मेदारी है! बांका जिला अधिकारी ने हर बातों को ध्यान पूर्वक सुना साथ ही अफसोस जताया, बाद में जांच का भरोसा दिया! आखिर सवाल ये उठता है, ऐसे भ्रष्टाचारियों पर, अंकुश कौन लगाएगा, बेरोजगारी, पलायन, अर्थव्यवस्था, उद्योग जैसे मुद्दे उठाकर चुनाव में पहले ही विपक्ष नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा कर चुका है. ऐसे में इन्हीं क्षेत्रों में नीतीश सरकार के लिए करने को बहुत कुछ है, जिसके जरिए वे अपनी सुशासन बाबू की छवि को बरकरार रख सकते हैं.
क्या बिहार की सुशासन सरकार, क्या बांका की भोली-भाली जनता को इंसाफ दिलाएगी!
रिपोर्ट अमित कुमार सिन्हा (बांका)
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