अब नेताओं के रिश्तेदारों को भी देगी टिकट बीजेपी, बदलेगी फॉर्मूला….

भाजपा हाल के उपचुनावों में अपनाया फॉर्मूला बदल सकती है। पार्टी ने विभिन्न राज्यों के 30 विधानसभा और लोकसभा के तीन उपचुनावों में बेटे, बेटियों व निकट परिजनों को टिकट न देने का फॉर्मूला अपनाया था। दरअसल, अगले साल की शुरुआत में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। उसमें कई क्षेत्रों में टिकटों में बदलाव भी संभावित है। ऐसे में वहां पर विभिन्न नेताओं के निकट परिजनों को टिकट न देने के फॉर्मूले पर कायम रहने का जोखिम पार्टी नहीं लेना चाहती है।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती चार राज्यों में अपनी सत्ता को बरकरार रखना है। इसके अलावा पंजाब में उसे अपनी प्रभावी भूमिका भी कायम करनी है। पार्टी की इस समय उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में सरकार हैं। सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व इन राज्यों में 30 से 50 फीसदी तक बदलाव कर सकती है। इनमें कुछ नेता ऐसे भी हैं जो अपनी जगह अपने निकट परिजनों को टिकट दिलाना चाहते हैं। इनमें अधिकांश के परिजन पहले से ही राजनीति में सक्रिय हैं और पार्टी में काम भी कर रहे हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी को एक फॉर्मूले के आधार पर नकारना मुश्किल होगा।

उपचुनाव के नतीजे मिले-जुले रहे थे
उपचुनाव के नतीजों में भाजपा को कई जगह दिक्कत का सामना करना पड़ा। मध्यप्रदेश में उसे एक जगह सफलता मिली तो एक जगह असफलता। हिमाचल प्रदेश में पार्टी की हार में इस फॉर्मूले को एक बड़ी वजह माना गया। अन्य राज्यों में भी मिले-जुले नतीजे रहे हैं। ऐसे में पार्टी अब कोई बड़ा जोखिम नहीं लेना चाहती है, बल्कि जीतने की क्षमता को आधार बनाकर ही टिकट तय करने के पक्ष में है। पहले भी यही फॉर्मूला पार्टी में चलता रहा है।

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