
बिहार में सरकारी अस्पताल भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है और एक तरफ स्वास्थ्य विभाग बड़े बड़े दावे कर रहे हैं और मामला सामने आया पश्चिम चंपारण जिले के सरकारी अस्पताल जहाँ पोस्टमार्टम के खुद अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक को बनना पड़ा डोम, मानो फिल्मों में दिखाया जाने वाले रोल अदा स्वेम करना पड़ा।
मामला पंड़ित कमलनाथ तिवारी अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक ने बगहा पुलिस अधीक्षक से लाश पोस्टमार्टम कराने के लिए सरकारी डोम उपलब्ध कराने की मांग की है। अस्पताल उपाधीक्षक डा० ए. के. अग्रवाल ने जानकारी दी है कि अस्पताल में जब भी कोई लाश पोस्टमार्टम कराने लाया जाता है, तो डोम के आभाव में पीड़ित और चिकित्सकों को परेशानी झेलनी पड़ती है। अस्पताल में स्थायी डोम की नियुक्ति नहीं है, जिस कारण प्राइवेट डोम को बुला कर मोलभाव करने के साथ ही एक लाश की पोस्टमार्टम के लिए मुँह माँगा रकम कि माँग पर अड़े हुए रहते हैं जिस का खामियाजा गरीब परिजनों को परेशानी झेलते है। अस्पताल परिसर में डोम के मोलभाव के कारण अव्यवस्था उत्पन्न हो जाती है। आगे बताया कि कल वृहस्पतिवार के दिन बिजली गिरने से हुई मृत्यु का एक शव आने पर, चौकीदार के बुलाने पर भी डोम अपने घर से नहीं आया। चार घंटा इंतजार करने के पश्चात मुझे स्वयं लाश का पोस्टमार्टम करना पड़ा।
जिला रिपोर्टर-राजेश पाण्डेय
पश्चिम चंपारण-बिहार