विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा के बाद राज्यसभा से मैं भी पारित‌ हुआ कृषि बिल….

नई दिल्ली: विपक्ष के भारी हंगामे और विरोध के बीच लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी किसानों से जुड़े दो बिल (Farmers Bills) ध्वनिमत से पास हो गए. इससे पहले कृषि मंत्री के बयान के बीच विपक्ष का जोरदार हंगामा देखने को मिला और इस दौरान विपक्षी सांसदों ने उपसभापति की माइक भी तोड़ दी. कृषि मंत्री के बयान के दौरान TMC और आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसदों ने बेल में पहुंचकर हंगामा किया और बिल के विरोध में जमकर नारेबाजी की. टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन ने तो रूल बुक ही फाड़ दी।

इससे पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में बिल पेश किया. कृषि मंत्री ने राज्यसभा के बिल पेश करते हुए कहा कि दो बिल ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में बदलाव लाएंगे. उन्होंने कहा कि इस बिल के बाद किसान देश में कहीं भी अपनी उपज का स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकेंगे. कृषि मंत्री ने कहा कि मैं किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये बिल न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित नहीं हैं.’

उन्होंने कहा कि यह महसूस किया जा रहा था कि किसानों के पास अपनी फसलें बेचने के लिए विकल्प होने चाहिए, क्योंकि एपीएमसी (कृषि उत्पाद बाजार समिति) में पारदर्शिता नहीं थी. तोमर ने कहा कि दोनों विधेयकों के प्रावधानों से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को बेहतर कीमतें मिल सकेंगी. उन्होंने कहा कि विधेयक को लेकर कुछ धारणाएं बन रही हैं जो सही नहीं है और यह एमएसपी से संबंधित नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि एमएसपी कायम है और यह जारी रहेगा. तोमर ने कहा कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस प्रकार के कृषि सुधारों की बात की थी. उन्होंने कहा कि किए जा रहे सुधारों से किसानों के जीवन में अभूतपूर्व बदलाव आएगा

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वहीं, राज्यसभा में TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन (Derek O’Brien) ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि विपक्ष किसानों को भ्रमित कर रहा है. आपके पास इसका क्या आधार है? आपने किसानों की आमदनी को डबल करने के लिए कहा था पर अब तक क्या हुआ उसका..

राज्यसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं तथा गलत समय पर पेश किए गए हैं. उन्होंने कहा कि अभी हर दिन कोरोना वायरस के हजारों मामले सामने आ रहे हैं और सीमा पर चीन के साथ तनाव है. बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा एमएसपी को खत्म करने का और कार्पोरेट जगत को बढ़ावा देने का है. उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी ?

उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है? उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं. बाजवा ने सवाल किया कि अगर सरकार के कदम किसानों के पक्ष में हैं तो भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल क्यों इसका विरोध कर रही है?

वहीं, बिल पर चर्चा के दौरान सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि, ‘ऐसा लगता है कि सत्ता पक्ष महत्वपूर्ण विधेयकों पर बहस या चर्चा नहीं चाहता है. वे केवल इन बिलों को पास कराना चाहते हैं. आपने किसी भी किसान संघों से परामर्श भी नहीं किया है.

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