अलीगढ़ हत्याकांड:अलीगढ़ के बरला कस्बे से एक ऐसी सच्चाई सामने आई है, जिसे सुनकर किसी का भी दिल दहल जाए। ये कोई फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है—एक पत्नी ने अपने ही पति की गोली मारकर हत्या करवा दी, और इस साजिश में उसका साथ दिया उसके प्रेमी ने।
मृतक सुरेश दिल्ली में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था। जब-तब घर आता था, परिवार से मिलने। लेकिन वो नहीं जानता था कि उसकी गैरहाजिरी में उसकी ही पत्नी बीना, पड़ोस के युवक मनोज से रिश्ता निभा रही थी। ये रिश्ता कोई नया नहीं था—8 साल पुराना था।
बीना की दीवानगी इस कदर थी कि जब मनोज को घर बुलाना होता, तो वह अपने पति और मासूम बच्चों को खाने में नींद की गोलियां मिलाकर सुला देती। कई बार ऐसा हुआ, मगर किसी को भनक नहीं लगी।
बात मोहल्ले तक फैल गई, पंचायतें हुईं, समझाने-बुझाने की कोशिशें भी। लेकिन मोहब्बत के नशे में चूर बीना और मनोज मानने को तैयार नहीं थे। और फिर एक दिन, उन्होंने मिलकर सुरेश को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली।
पहले तो सोचा गया कि नींद में गला दबाकर मार देंगे, लेकिन जब वो कामयाब नहीं हुआ, तो बीना ने खुद मनोज को तमंचा थमा दिया और कहा – “इतनी गोली मारना कि बचने न पाए।”
उस दिन बीना ने अपने तीनों बच्चों को जबरदस्ती स्कूल भेजा। सुरेश बाहर बैठा मोबाइल देख रहा था, तभी मनोज आया और सीने में गोली मार दी। सुरेश का भाई दौड़ा तो उस पर भी फायर किया गया।
इस सनसनीखेज हत्याकांड के बाद मनोज खुद थाने पहुंच गया और आत्मसमर्पण कर दिया। कुछ ही देर में बीना भी गिरफ्तार हो गई। दोनों ने पुलिस के सामने सारी साजिश कबूल कर ली।
लेकिन जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात रही, वो ये कि तीनों मासूम बच्चे थाने पहुंचे और उन्होंने पुलिस से साफ कहा—“मम्मी पापा को हमेशा नींद की दवा देकर सुलाती थी और किसी अंकल को घर बुलाती थी… अब मम्मी को जेल भेज दो।”
यह सिर्फ एक हत्या नहीं थी, ये विश्वास, रिश्तों और इंसानियत की हत्या थी। एक ऐसा केस, जो समाज को आईना दिखा गया कि जब मोहब्बत जुनून बन जाए, तो कैसे एक मां भी हैवान बन सकती है।