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बिहार में मतदाता पुनरीक्षण मामले में चुनाव आयोग से मिले इंडिया गठबंधन के नेता दर्ज कराया विरोध…

Reporter : Farhan Ahmad पटना, 5 जुलाई, 2025:
आज इंडिया गठबंधन के सभी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बिहार के चुनाव आयुक्त से मुलाकात कर आगामी बिहार विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम 2025 के तहत मतदाता सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए। गठबंधन ने विशेष रूप से भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा केवल 11 दस्तावेजों को मान्य मानने और अन्य सरकारी पहचान पत्रों को अस्वीकार करने के अधिकार पर संवैधानिक और कानूनी आधार स्पष्ट करने की मांग की।

प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या उसे केवल उन्हीं 11 दस्तावेजों को स्वीकार करने का विशेषाधिकार प्राप्त है और सरकार द्वारा जारी अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड आदि को क्यों अस्वीकार्य किया जा रहा है, भले ही वे पहचान या निवास को सिद्ध करते हों। गठबंधन ने तर्क दिया कि जब आधार कार्ड जारी करते समय सरकार स्वयं आँखों की पुतली और फिंगरप्रिंट सहित कई पहचान और आवास के दस्तावेज मांगती है, तो फिर अपने ही द्वारा बनाए गए आधार कार्ड को मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया में क्यों छाँटा जा रहा है।

गठबंधन ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान का अनुच्छेद 326 वयस्क मताधिकार का आधार तय करता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं करता कि नागरिकता या आयु प्रमाणित करने के लिए कौन-कौन से दस्तावेज मान्य होंगे। इसी तरह, Representation of the People Act, 1950 के Section 16 और Section 21-23 में भी दस्तावेजों की वैधता को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है। यह अधिकार मुख्य रूप से चुनाव आयोग की प्रक्रिया और अधिसूचना के अधीन छोड़ा गया है। इस संदर्भ में, यह सवाल उठाया गया कि यदि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम अथवा संविधान में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, तो यह 11 दस्तावेजों की सूची किस प्रक्रिया से तय हुई और क्या यह न्यायसंगत है।

इंडिया गठबंधन ने बिहार के लगभग 4 करोड़ से अधिक निवासियों के अन्य राज्यों में स्थायी और अस्थायी रूप से कार्य करने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने पूछा कि क्या 18 दिनों की सीमित अवधि में वे अपना सत्यापन कर पाएंगे, या सरकार की उन्हें बिहार लाने की कोई योजना है, अथवा उनका वोट काटना ही उद्देश्य है।

मतदाता सत्यापन कार्य में मतदाताओं को सफ़ेद पृष्ठभूमि के साथ अपनी रंगीन फ़ोटो लगाने की अनिवार्यता पर भी आपत्ति जताई गई। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि क्या सभी घरों/परिवारों में फ़ोटो उपलब्ध है और क्या अन्य दस्तावेजों की फ़ोटोकॉपी उपलब्ध है। उन्होंने इसे गरीब मतदाताओं के उत्पीड़न और उन पर वित्तीय बोझ बताया, क्योंकि उन्हें फ़ोटो खिंचाने के लिए फ़ोटोस्टूडियो जाना होगा।

गठबंधन ने चुनाव आयोग से प्रतिदिन सत्यापित मतदाताओं की संख्या और अस्वीकृत मतों का विवरण डैशबोर्ड के माध्यम से लाइव और रियलटाइम अपडेट करने की मांग की।

अंत में, निर्वाचन आयोग द्वारा प्रत्येक BLO के साथ 4 स्वयंसेवकों को लगाए जाने पर भी सवाल उठाए गए। प्रतिनिधिमंडल ने पूछा कि ये स्वयंसेवक कौन हैं और इनके चयन का मानदंड क्या है, क्या वे सरकारी कर्मचारी हैं या अन्य लोग। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग BLO की तरह इन स्वयंसेवकों की भी सूची प्रकाशित करे ताकि सभी लोग उनका सत्यापन कर सकें।

प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि निर्वाचन आयोग संविधान के अधीन एक स्वतंत्र संस्था है और वह “कानून के अधीन” कार्य करता है, न कि कानून से ऊपर। उन्होंने मांग की कि यदि दस्तावेजों की सूची प्रशासनिक आदेश या आंतरिक गाइडलाइन से बनाई गई है, तो चुनाव आयोग स्पष्ट रूप से बताए कि इन 11 दस्तावेजों का चयन किस विधिक शक्ति या धारा के तहत किया गया है।

इंडिया गठबंधन ने चेतावनी दी कि यदि चुनाव आयोग ग्रामीण और वंचित तबकों के हित में अन्य प्रामाणिक दस्तावेजों को भी स्वीकार्य बनाने पर पुनर्विचार नहीं करता है, तो सड़कों पर आंदोलन किया जाएगा।

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