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संगीत की दुनिया का एक हंसता हुआ सूर्य अस्त हो गया!

पंडित जसराज जी सरीखे सुरों के देवता का पृथ्वी पर आगमन हमारे समय की सबसे बड़ी उपलब्धि है और उनका जाना या विदाई कभी शोक से नहीं की जा सकती। वे एक हंसते हुए सूर्य थे और अब हमारी आंखों के सामने नहीं हैं।अक्सर ख्याल गायन के बाद जब वे कोई भजन सुनाते तो पूरे वातावरण को आध्यात्मिकता में भिगो देते थे।

दरअसल वह सुरों के संत थे या कहें सुरीले संत थे, रागों के रसिया और भारतीय संगीत के गायक-नायक।हम जैसे कलाकारों व हजारों लाखों शास्त्रीय संगीत प्रेमियों का यह सौभाग्य रहा है कि ऐसे महान संगीतकार ने हमारे समय में जन्म लिया, हम रू-ब-रू बैठाकर संगीत सुनाया, न जाने कितना कुछ सिखाया और सदैव स्नेह की बारिश की।पंडित जसराज जी अपने आप में भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक विश्वविद्यालय थे। उन्होंने शास्त्रीय गायन में वह मिठास भरी, जिसे सुनकर सुरों के प्रेमी असीम शांति और आनंद में खो जाते हैं। उनके गायन का शुद्ध उच्चारण और स्पष्टता ख्याल गायन की खास शैली बन गई।

हमारा उनका बहुत लंबा साथ रहा। न जाने कितनी महफिलों में हमने साथ-साथ शिरकत की। वह जितने अच्छे गायक थे उतने ही सहज सरल और निश्छल मन के व्यक्ति भी थे। हमें जब भी जिस भी कार्यक्रम में मिलते तो ऐसे मिलते जैसे परिवार के सदस्य से मिल रहे हों। उनकी यह सहजता केवल कलाकारों के लिए ही नहीं, बल्कि किसी आम संगीत रसिक के साथ भी थी।पंडितजी नए संगीतकारों, चाहे वह गायक हो या वादक, उसे प्रोत्साहित करते और उसकी हर संभव मदद भी करते थे। इसलिए उन्होंने और उनके गायन ने लाखों लोगों के दिल को छुआ। वे ऐसे महान संगीतकार और विभूति थे, जिनकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती। ऐसे दिव्य संगीत संत कभी-कभी ही जन्म लेते हैं और यह हमारे लिए खुशनसीबी की बात है कि वह हमारे समय में हमारे समक्ष रहे।

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