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जंतर-मंतर से गरजे केजरीवाल: ‘गरीबों का हक छिनने नहीं देंगे’

रविवार, 29 जून को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली। अपने घरों और रोज़गार को बचाने की आस लिए आम आदमी पार्टी के हजारों कार्यकर्ता और नेता एकजुट हुए। मंच पर नारे गूंज रहे थे, दिलों में गुस्सा था और आंखों में उम्मीद – कि शायद अब कोई उनकी भी सुनेगा।
यह सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि उन लोगों की आवाज़ थी, जिनके सिर से छत छीनी जा रही है और जिनके हाथों से रोज़गार फिसल रहा है। आम आदमी पार्टी ने इस आंदोलन के ज़रिए केंद्र सरकार पर सीधा सवाल उठाया – “गरीबों का कसूर क्या है?”
इस जनसभा को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भावुक लेकिन दृढ़ स्वर में कहा,
“दिल्ली का बेटा अब हर उजड़ते घर की लड़ाई लड़ेगा। यह आवाज़ सिर्फ एक पार्टी की नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों की है जिनके घर तोड़े जा रहे हैं, जिनका रोजगार छीना जा रहा है। आम आदमी पार्टी उनके साथ खड़ी है और अब दिल्ली की जनता भाजपा के बुलडोजर का जवाब देगी।”
यह आंदोलन सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि एक वादा था – कि अब कोई भी गरीब अकेला नहीं होगा।

मोदी सरकार की ‘गारंटी’ पर सवाल

दिल्ली के जंतर-मंतर पर जब अरविंद केजरीवाल बोले, तो सिर्फ शब्द नहीं, दर्द भी झलका। उन्होंने याद दिलाया कि चुनाव से पहले भाजपा ने वादा किया था – ‘जहां झुग्गी है, वहीं मकान मिलेगा’। लेकिन पिछले पांच महीनों में इन वादों की सच्चाई उजागर हो गई। जिन घरों में चूल्हा जलता था, बच्चों की हंसी गूंजती थी, उन्हें बेदर्दी से मिट्टी में मिला दिया गया।
केजरीवाल ने कहा, “मोदी जी की ‘गारंटी’ अब कागज़ी लगती है, जमीनी सच्चाई से उसका कोई लेना-देना नहीं रह गया है। भाजपा की मंशा साफ़ है – दिल्ली की हर झुग्गी को उखाड़ फेंकना।”
अपने भाषण में उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा,
“अगर यह अन्याय नहीं रुका, तो दिल्ली की सड़कों पर ऐसा आंदोलन खड़ा होगा, जो इतिहास में दर्ज हो जाएगा।”
उन्होंने याद दिलाया, “यहीं से कांग्रेस की सत्ता गई थी, यहीं से अन्ना आंदोलन ने पूरे देश को झकझोरा था। अगर भाजपा ने जनता की पीड़ा नहीं समझी, तो रेखा गुप्ता की सरकार भी पूरे पांच साल नहीं देख पाएगी।”
इस भाषण में सिर्फ राजनीति नहीं थी, उसमें उन लाखों लोगों की पीड़ा थी, जिनका सब कुछ उजड़ने के कगार पर है। और जब जनता की उम्मीदें टूटती हैं, तो आवाज़ें उठती हैं – और वो आवाज़ें सत्ता की दीवारें हिला सकती हैं।

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