उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू से ही सवालो के घेरे में रही है चुनाव प्रकिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दे है, क्योंकि आरक्षण व्यवस्था से संबंधित नियमावली की अधिसूचना (गजट नोटिफिकेशन) जारी किए बिना आरक्षण लागू कर दिया गया था। बता दे की उत्तराखंड पंचायत संगठन के संयोजक जगत मार्तोलिया का कहना है कि पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण लागू करने में संविधान की मूल धारणा की अनदेखी हुई है। उन्होंने बताया कि आरक्षण को लेकर रोस्टर इस तरह से होना चाहिए था कि अंतिम व्यक्ति तक उसका लाभ पहुंचे, लेकिन ऐसा न कर पुराने रोस्टर को खत्म कर नए सिरे से रोस्टर बना दिया गया।
निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशासक बनाया
बता दे की भाकपा माले के प्रदेश सचिव इंद्रेश मैखुरी बताते हैं कि शासन ने पहले प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों को पंचायतों का प्रशासक बनाने का आदेश किया, लेकिन इसे कुछ समय बाद निरस्त कर निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को पंचायतों में प्रशासक बना दिया। ऐसा पहली बार हुआ है, जब निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधि ही प्रशासक बना दिए गए हों।
हाईकोर्ट में सुनवाई
वही हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता मुरारी लाल खंडेवाल का कहना है कि आरक्षण के चक्रीय क्रम को तोड़ दिया गया है और आरक्षण के लिए अलग-अलग दो तरह की व्यवस्था बना दी गई है। पंचायतों में लागू आरक्षण में विसंगतियां हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर आज सुनवाई होनी है।
सरकार की कार्रवाई
सचिव पंचायतीराज चंद्रेश कुमार का कहना है कि आरक्षण व्यवस्था से संबंधित नियमावली की अधिसूचना (गजट नोटिफिकेशन) की प्रक्रिया गतिमान है। जिसे शीघ्र जारी कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि स्थिति से अवगत कराते हुए उचित न्यायिक मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सके।
रिपोर्ट:- कनक चौहान