पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर पहुंच गया है। ईरान ने अपने परमाणु ठिकानों पर हुए अमेरिकी हमलों के जवाब में सोमवार देर रात कतर, इराक और सीरिया में मौजूद अमेरिकी सैन्य अड्डों पर मिसाइल हमले किए। यह हमला ईरान द्वारा किए गए सबसे संगठित और प्रतीकात्मक सैन्य जवाबों में से एक माना जा रहा है।
तीन मोर्चों पर हमला: कहां-कहां गिरी मिसाइलें?
कतर: अल-उदीद एयरबेस को बनाया निशाना
ईरान ने सबसे पहले कतर की राजधानी दोहा के पास स्थित अल-उदीद एयरबेस को निशाना बनाया, जो अमेरिका का पश्चिम एशिया में सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है।
यहां एक बार में 100 से अधिक एयरक्राफ्ट खड़े किए जा सकते हैं और लगभग 10,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।
- कतर के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि 10 में से 9 मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर लिया गया, जबकि एक मिसाइल खुले इलाके में गिरी।
- हमले में कोई जनहानि या बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
- कतर ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया और जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रखा है।
इराक: ऐन-अल-असद एयरबेस पर हमला
इराक में स्थित इस एयरबेस को अमेरिका सीरिया और उत्तर इराक में अभियानों के लिए मुख्य ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करता है।
हालांकि अमेरिकी सूत्रों ने हमले से इनकार किया, वहीं कुछ स्थानीय रिपोर्टों में मिसाइलों के गिरने की पुष्टि हुई, लेकिन किसी क्षति की जानकारी नहीं है।
सीरिया: कसरक बेस को भी लिया निशाने पर
सीरिया के हसाका प्रांत में स्थित कसरक अमेरिकी सैन्य अड्डे पर भी मिसाइल हमले की खबर है।
यह अड्डा पहले ही संक्षिप्त संचालन की स्थिति में था और अमेरिकी सैन्य उपस्थिति हाल ही में यहां से कम की गई है।
ईरानी मीडिया ने दावा किया कि “शत्रु ठिकाने पूरी तरह भेद दिए गए हैं”, लेकिन स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई।
क्या था ईरान का मकसद?
ईरान ने यह हमला अपने परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के जवाब में किया है। ईरानी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह हमला:
- एक संयमित जवाब था।
- प्रतिकारात्मक क्षमता दिखाने के लिए किया गया।
- और यदि अमेरिका आगे कोई हमला करता है, तो ईरान जलडमरूमध्य-ए-हॉर्मुज़ को बंद करने में भी संकोच नहीं करेगा।