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जहाँ तालीम के साथ मिलती है तहज़ीब की रौशनी,और बेटियों को मिलता है रोशन मुस्तकबिल: जामिया सुमय्या!

रिपोर्ट अकरम अली

सहारनपुर (कैलाशपुर)
आज के दौर में जहां बेटियों की तालीम को बढ़ावा देना एक अहम ज़रूरत बन चुका है, वहीं जामिया सुमय्या, कैलाशपुर, सहारनपुर में बालिकाओं की तालीम और तरबियत का एक रौशन मरकज़ बनकर उभर रहा है। यह मुक़द्दस इदारा ख़ास तौर से लड़कियों के लिए क़ायम किया गया है, जहां दीनी और दुनियावी तालीम का खूबसूरत संगम देखने को मिलता है।
इस मदरसे में उर्दू, हिंदी, अंग्रेज़ी, गणित समेत तमाम ज़रूरी मज़ामीन की तालीम दी जाती है। साथ ही, बच्चियों की अख़लाक़ी तरबियत, कुरआनी तालीम और इस्लामी उसूलों पर भी ख़ास तवज्जो दी जाती है।
इस इदारे के सरपरस्त और सरगर्म संचालक कारी सईद अहमद साहब, जो तालीम को अपनी ज़िम्मेदारी ही नहीं बल्कि इबादत मानते हैं। उनका कहना है!
हमारा मक़सद है कि बेटियाँ इल्म की रोशनी से अपने मुस्तकबिल को रौशन करें। जामिया सुमय्या सिर्फ़ एक मदरसा नहीं, बल्कि एक खिदमत है इस्लामी और समाजी तालीम की!
इस इदारे की देख-रेख मौलाना मोहम्मद तय्यब साहब के ज़िम्मे है, जो इंतिहाई ज़िम्मेदाराना अंदाज़ में बच्चियों की रहनुमाई कर रहे हैं।
वो बताते हैं:
“हम इस बात का पूरा ख्याल रखते हैं कि बच्चियों को रहने, खाने, पढ़ाई और हिफाज़त से लेकर हर पहलू में आसानी हो। हमारा मक्सद है कि वो इत्मीनान के साथ तालीम हासिल करें और बेहतरीन नतीजे लेकर बाहर निकलें।”
जामिया सुमय्या में दूर-दराज़ से आने वाली तालिबात के लिए रहाइश (हॉस्टल), खाने-पीने और दीगर ज़रूरी सहूलतों का मुकम्मल इंतज़ाम है। साफ़-सुथरा और पुरसुकून माहौल इस इदारे की खासियत है, जहां बच्चियाँ खुद को महफूज़ और मुत्मइन महसूस करती हैं।
यह इदारा न सिर्फ़ इल्म की तालीम देता है, बल्कि बच्चियों को एक बेहतर इंसान, अच्छी बेटी, और नेक मुसलमान बनाने का जज़्बा भी रखता है!

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