दिल्ली में हर्ड इम्युनिटी विकसित हुई है या नहीं इसे साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता। लेकिन जिस तरह सर्वे में 40 लाख लोगों को कोरोना होने और खुद ठीक होने के बात कही जा रही है उससे यही लगता है। इसपर भी सवाल उठता है कि हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए आखिर कितनी प्रतिशत जनसंख्या में संक्रमण या रोग प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए।
सबसे पहली बात आखिर कोरोना का पीक किसे कह सकते हैं। इसे कोरोना के आ रहे नए केसों से ही किया जाता रहा है। जानकार मानते हैं कि जब लगातार 14 दिनों तक केस गिरते रहें तो मान लीजिए पीक आकर जा चुका है। अब न्यूयॉर्क की बात करें तो वहां अप्रैल तक तेजी से केस बढ़े, मतलब पूरे अमेरिका में सबसे ज्यादा खराब हालत ही वहीं की थी। फिर मई में गिरावट शुरू हुआ जो जारी है। दिल्ली की ताजा स्थिति को देखकर एम्स के रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि लगता है दिल्ली का पीक पिछले हफ्ते आकर जा चुका है क्योंकि केसों की संख्या में अब गिरावट है।
पीक का चले जाने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि कोरोना खत्म हो गया है। लेकिन इसके बाद नए केसों की संख्या में गिरावट आ जाती है। ऐसे में जब लगे की पीक गुजर चुका है तो सरकार रुकी हुई अर्थव्यवस्था को खोलने पर फिर विचार कर सकती है। अब सवाल उठाता है कि कोरोना उतना फैला क्यों नहीं। इसकी वजह लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंस के नियम हो सकते हैं। या फिर यह भी हो सकता है कि इतनी बड़ी जनसंख्या को कोरोना होने के बाद हर्ड इम्युनिटी विकसित हो भी गई हो, जिससे वायरस कम घातक होता गया।
अभी जबतक कोरोना की दवा नहीं बनती तबतक वैक्सीन से रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होगी। इसलिए यह संक्रमण से ही हो सकती है, लेकिन कितने प्रतिशत पर, यह साफ नहीं है। फरवरी में हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रफेसर मार्क लिपस्टिच ने कहा था कि 40 से 70 प्रतिशत आबादी के संक्रमित होने पर हर्ड इम्युनिटी विकसित हो सकती है। एक गणितज्ञ गैबरीला गोम्स का कहना है कि सिर्फ 20 प्रतिशत जनसंख्या से काम चल जाएगा।